राजनेताओं को छोड़िए..उनसे स्वच्छ राजनीति की अपेक्षा करना व्यर्थ है..
लेकिन हम..?
हम क्या कर रहे हैं?
पूछिए उनसे जो RT और like के फेर में कोई भी अपुष्ट समाचार पोस्ट कर देते हैं..और गलत सिद्ध होने पर उसे डिलीट भी नहीं करते हैं..फैलने देते हैं भय और संशय लोगों में ..
और मीडिया..?
क्या ऐसी विषम परिस्थितियों में उनके लिए कोई सीमा,कोई आचार संहिता नहीं है?
या सिर्फ चील-गिद्धों की तरह शमशानों में शवों पर मंडराना और भेड़ियों की तरह लाशों को फँफेड़ कर खबरी भूख मिटाना ही उनका दायित्व है?
क्या हम कुछ समय के लिए संयम नहीं रख सकते?
हमें नियम पालन करने से समस्या क्यों होती है?
क्या मास्क लगाए रखना इतना मुश्किल है?
क्या हम कुछ दिनों के लिए अपने मौज शौक मनोरंजन को छोड़ नहीं सकते?
क्यों हम चिकित्साकर्मियों-विशेषज्ञों की नहीं सुनते?
कब परिपक्व होंगे हम एक लोकतंत्र के रूप में?
कब तक यूँ ही आपस में कुत्तापचीसी करते रहेंगे?
और कितना समय लेंगे हम स्वविवेक,आत्मानुशासन सीखने में?
कब तक जमूरे बन राजनेताओं के डमरू पर नाचते रहेंगे?
याद रखिए सभी राजनीतिक दल एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं..उन्हें हमारी परवाह क्यों हो?
स्वयं पर नियंत्रण रखें..हम में से बहुतों ने अपनों को खोया है..उनका दुख कम करने को कोई नहीं कह रहा आप से..किंतु उनके साथ सह्रदय तो हो ही सकते हैं आप..?
आत्मघाती अतिआत्मविश्वास से बचाए, पूरी सावधानी रखिए तभी हम जीत पाएंगे..🙏
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