आइए बात करते हैं एक्टीविस्ट गौतम नवलखा की जिसने आज आत्मसमर्पण किया..
एकदम शुरूआत से शुरू करते हैं।
तो 1990 के प्रारंभिक समय से आरंभ करें.
पाकिस्तान वाॅशिंगटन में कश्मीर के संदर्भ में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा था.उसने इसके लिए गुलाम नबी फई को योग्य समझ कर चुना. पाकिस्तान मुद्दे को अपने अनुसार मोड़ने में सफल हुआ..आगे पढ़ें ..
कल्पना कीजिए पाकिस्तान के पूर्ण नियंत्रण वाली एक ऐसी शक्तिशाली संस्था की जो कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के नागरिकों की आवाज़ होने का दावा कर रही थी..ये संस्था थी - गुलाम नबी फई द्वारा स्थापित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल, KAC..
तो इरादा क्या था?
इरादा था कश्मीर पर दुष्प्रचार के लिए एक मंच का सृजन.पाकिस्तान नियंत्रित होने के बावजूद इस मंच को निष्पक्ष दिखाना था..कैसे?
आसान था.. कश्मीर मुद्दे पर बोलने के लिए
दोनो देशों के नामचीन वक्ताओं को बुलाना.
किंतु यह योजना सफल नहीं हुई. ISI द्वारा
अमरीकी काँग्रेस को प्रभावित करने के लिए
साढ़े तीन मिलियन डालर की हेराफेरी के लिए गुलाम नबी फई को गिरफ्तार कर लिया गया..
यह वो समय था जब ओसामा को ले कर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच आपसी विश्वास के तार बहुत ढीले पड़े हुए थे..
संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद गैरसरकारी संस्थाओं को सलाहकार का दर्जा प्रदान करती है जो एक NGO को संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानवाधिकार परिषद सहित अनेक मंचों पर एक प्रभावी स्वर देता है..हमारे बुद्धिजीवियों के कारण पाक नियंत्रित KAC को ये दर्जा मिलने ही वाला था..
वे कौन बुद्धिजीवी थे जो KAC के सम्मेलनों में सम्मिलित होने के लिए अमेरिका गए ताकि इसे संयुक्त राष्ट्र संघ में यह दर्जा मिल सके..?
सूची में पहला नाम हमारे आज के सितारे गौतम नवलखा का है..
सूची में कुछ और नाम थे -
सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस सच्चर ( सच्चर आयोग वाले )
- कुलदीप नायर ( मशहूर ..)
- वेद भसीन ( कश्मीर टाईम्स के संपादक , आप पढ़ेंगे तो समझ जाएंगे)
ऐसा नहीं है कि भाजपा को नवलखा से कोई राजनैतिक प्रतिशोध लेना है..(भीमा कोरेगांव, आगे). उसकी गतिविधियों ने उमर अब्दुल्ला के कान भी खड़े कर दिए थे.अब्दुल्ला सरकार ने नवलखा को हिरासत में लिया था..
लेकिन उनका स्वर्णिम काल अभी आना बाकी था.सन् 2017 की भीमा कोरेगांव की हिंसा नवलखा के दुष्प्रचार का चरम कही जा सकती है.
तो.. यहां क्या योजना थी..? क्या इरादे थे..?
योजना थी पूरे महाराष्ट्र को जातिवादी हिंसा में जलाने की..सरकार के अच्छे उपायों के कारण
ये असफल हो गई. उन्होंने हजारों नहीं तो सैंकड़ों शवों की योजना बनाई थी..किंतु ऐसा कर नहीं पाए..जब पूना पुलिस ने जाँच आरंभ की तो जो लोग दोषी पाए गए, वे थे..
गौतम नवलखा..
सुधीर धावले
रोना विलसन
सुरेन्द्र गाडलिंग
शोमा सेन
महेश राउत
वरवरा राव
सुधा भारद्वाज
अरुण फरेरा
वर्नन गोंजालेज
एवं अन्य..
पूना पुलिस को विस्फोटक आदि खरीदने के लिए विस्तृत ब्योरे वाली CD, इमेल्स और पेन ड्राइव्ज मिलीं..

(अनुवाद)
तो नवलखा को नेपाल के रास्ते ये सब खरीदने के लिए ISI से जुड़े अपने पुराने संपर्कों को काम में लेना था.
रोना विल्सन मामले में बरामद पेन ड्राइव इमेल्स और CDs के विस्तृत जांच से नवलखा का भेद खुल गया .
पुलिस के पास उसे गिरफ्तार करने के लिए पूरे साक्ष्य थे..किंतु जैसा कि हम जानते हैं एक अंतिम बाधा हमेशा होती है.न्याय व्यवस्था .
28 अगस्त 2018 को शाम 4 बजे उसने राहत के लिए अर्ज़ी लगाई जो शाम छः बजे मंजूर हो गई.क्या आपने कभी इतना त्वरित न्याय देखा है..?
क्या आप जानते हैं न्यायाधीश कौन थे..?
अंदाजा लगाइए..
..बस इतना ही..🙏
@SumonaChakrabo8 जी की अनुमति से अनुवादित..

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