एक ठो ‘प्रिये’ अपुन का भी;

मैं उच्चारण हूँ राहुल का,
तुम मोदी का व्याख्यान प्रिये,
मैं कम्यूनिस्टों का चंदा हूँ,
तुम अमेरिकन अनुदान प्रिये,
मैं कभी-कभी सोचा करता,
क्यूँ दूरी इतनी लंबी है?
मैं बंगाली घुघनी सा हूँ,
तुम गुजराती फरसान प्रिये।
मैं प्रोन्नोय रॉय का टी आर पी,
तुम अरनब की ललकार प्रिये,
संक्षिप्त ज्ञान मैं छेनू का,
तुम पी पी का विस्तार प्रिये,
फिर फिर से कोशिश की मैंने,
निष्कर्ष यही बस पाया है,
मैं अर्धरात्रि की खुली आँख,
तुम सपना इक साकार प्रिये।
मैं थर्ड वर्ल्ड की अर्थनीति,
तुम वर्ल्ड बैंक का ज्ञान प्रिये,
मैं साम्यवाद का इंफ़्लेशन,
तुम अर्थवाद की तान प्रिये,
यह खाई लंबी-चौड़ी सी,
इस ज़नम नहीं भर सकती है,
मैं कांगरेस के वादे सा,
तुम भोले का वरदान प्रिये।
मैं ख़ाली धमकी पीसी की,
तुम स्वामी जी का वार प्रिये,
एरिया मैं ग़ाज़ापट्टी का,
औ तुम पूरा संसार प्रिये,
तुम मीलों आगे चलती हो,
मैं कोसों पीछे रहता हूँ,
मैं माला-फूल मुलायम का,
तुम मायावती का हार प्रिये।
मैं भयाक्रांत यूरोप सदृश,
तुम शांतिधर्म की शरणार्थी,
मैं जे एन यू के वीसी सा,
तुम पी एचडी की विद्यार्थी,
मैं दबा-दबा, कुचला-कुचला,
यह सोच के मुरझा जाता हूँ,
मैं कोटाहीन युवक जैसा,
तुम आरक्षण की लाभार्थी।
मैं कांगरेस का फ़ॉर्म्युला,
तुम मोदी जी का हार्डवर्क,
मैं रैंटिंग राहुल गांधी की,
तुम अमित शाह का सही तर्क,
मैं बार-बार फिर हार-हार,
टूरिज़्म की शरणागत हूँ,
औ तुम विजयी होकर के भी,
चौबिस घंटे रहती सतर्क।
मैं पॉटहोल हूँ मेट्रो का,
तुम बी एम डब्ल्यू कार प्रिये,
मैं बंगलुरु का एम्प्टी पोल बूथ,
तुम troit टाइप बार प्रिये,
मैं शाम-सुबह देखूँ रस्ता,
सोचूँ कब मिलन हमारा हो,
मैं राह देखता ई वी एम,
तुम वोटर, जो करतार प्रिये।
टैलेंट मैं रोहित शर्मा का,
तुम हो धोनी सम कूल प्रिये,
मैं गँवई बेसिक विद्यालय,
तुम ‘मिश-नारी’ स्कूल प्रिये,
डिस्टेंस बढ़ा ही जाता है,
दूना, तिगुना, चौगुना सदा,
मैं कैशमिलान लुधियाने का,
तुम पश्मीना का वूल प्रिये।
मैं ट्वीट में सच लिखनेवाला,
तुम फ़्री स्पीच ‘सपोर्टर’ सी,
मैं क्षमाप्रार्थी कोचर सा,
तुम हलकट रूपा रिपोर्टर सी,
मैं सबकुछ सहकर भी चुप हूँ,
तुम सबकुछ करके चिल्लाती,
मैं सहमा सहमा यूरोपी,
तुम टेरर की इक्स्पोर्टर सी।
मैं ट्वीटकार की लॉजिक सा,
तुम मीडिया की फटकार प्रिये,
मैं पासपोर्ट आफ़िसर सा,
तुम इंटर-फ़ेथ आधार प्रिये,
मेरे कर्तव्य का गौरव निल,
मेरे सच का महत्व ज़ीरो,
मैं सब करके अधिकार रहित,
तुमको सारा अधिकार प्रिये।
मैं सहनशील भारत सेना,
तुम कश्मीरी पत्थरबाज़ प्रिये,
मैं ऐजिटेटेड राइट विंगर,
तुम लिबरल की आवाज़ प्रिये,
मैं छिपा हुआ माफ़ीनामा,
तुम फ़्रंट पेज की फेक न्यूज़,
मैं चंद्रगुप्त की हूँ समाधि,
तुम शाहजहाँ का ताज प्रिये।
मैं टरब्यूलेंस में एयरक्राफ़्ट,
तुम श्वेत-नील आकाश प्रिये,
मैं हवलदार के क्वार्टर सा,
तुम आइ जी का आवास प्रिये,
मैं प्रश्न दागता ‘पेड’ ट्रोल,
तुम ब्लॉक दागती मंत्री सम,
मैं चुप-चुप गुरुवर देशबंधु,
तुम प्रियंका सी बिंदास प्रिये।
मैं ज्ञानहीन औसत जनता,
तुम सर्वभिज्ञ पत्रकार प्रिये,
मैं बुझता चिमट बुर्जुआ सा,
तुम विकट क्रांति-अंगार प्रिये,
मैं लिखा हुआ भी पढ़ न सकूँ,
तुम अलिखित तक पढ़ लेती हो,
मैं मारुति एट हंडरेड सा,
औ तुम जैसे जगुआर प्रिये।
मैं पासपोर्ट के नियमों सा,
तुम सुषमा जी का स्व-राज प्रिये,
मैं चुप्पी साधे अफ़सर सा,
तुम सदिया का ऐतराज़ प्रिये,
मैं पुलिस की रद्दी रपटों सा,
तुम ‘कुबुलित’ इक निकाहनामा,
मैं शब्द हूँ जैसे पंडित के,
तुम क़ाज़ी का अल्फ़ाज़ प्रिये।
मैं सरल, अबोध, अनाथ बालक,
तुम मदर कहाती नार प्रिये,
मुझको जो है माँ की ममता,
तुमको वो है व्यापार प्रिये,
मैं बाल रूप में ईश्वर हूँ,
तुम संत रूप में डेविल हो,
मुझमें सिमटी है दया, क्षमा,
तुझमें विकृत संसार प्रिये।
मैं कामदार की नज़रों सा,
तुम नामदार की नज़र प्रिये,
मैं उन आँखों से मिल न सकूँ,
है ऐसा तेरा असर प्रिये,
मैं सबकुछ सुनकर भी हँसता,
तुम सब कहकर भी नहीं ख़ुशी,
ये घृणायुक्त जीवन तेरा,
कैसे होगा फिर बसर प्रिये?
मैं हूँ बिहार का ऐनुअल फ़्लड,
तुम दुर्लभ मलयाली बाढ़ प्रिये,
मैं भीषण जल वाला भादौं,
तुम शॉवर-युक्त असाढ़ प्रिये,
बस पटना तक मेरी शुध-बुध
तुम अरब देश तक को प्यारी,
मेरी हालत पर सब चुप है,
तुम पर कैम्पेन प्रगाढ़ प्रिये।
मैं भारतवर्ष की जनता सा,
तुम वापसी वाला अवॉर्ड प्रिये,
मैं लुटा हुआ सरकारी निधि,
तुम कवि को मिला रिवार्ड प्रिये,
मैं चुप्पी वाला भारतीय,
तुम धूम मचाती अरुंधती,
मैं महाराष्ट्र का हवलदार,
तुम कोरट की मी-लॉर्ड प्रिये।
मैं छिन्न-भिन्न हिंदू-एका,
तुम कांगरेस का दाँव प्रिये,
मैं मुरझाया सा तुलसीदल,
औ तुम सूरज की छाँव प्रिये,
है तेज़ तुम्हारा ऐसा कुछ कि;
सूखे चले जल की बदली,
मैं हूँ ज़मीन पर पड़ा त्राण,
तुम ऐरावत का पाँव प्रिये।
मैं बोरिंग जैसे नीतिवचन,
तुम न्यूज़ मसालेदार प्रिये,
मैं हिस्ट्री के रूखा सच सा,
तुम राम गुहा का प्रचार प्रिये,
दोनों ने दो ध्रुव पर रहकर,
इस जग को थामे रक्खा है,
मैं अनुदारिता सैनिक की,
तुम नक्सल का शिष्टाचार प्रिये।
मैं भयाक्रांत पीड़िता सदृश,
तुम AIB स्टार प्रिये,
मैं दबी-दबी “मी टू” जैसी,
तुम ओपन अत्याचार प्रिये,
मैं दफ़न किए निज अंतर्मन,
तुम माइक थामे खुला गटर,
मैं घुटा-घुटा सच ले जी लूँ,
तू कर सच का संहार प्रिये।
मैं हिंदू-मन की व्यथा-कथा,
तुम उच्च-तम न्यायाधीश प्रिये,
मैं उन्नायक ऐय्यप्पा का,
तुम लिबरल सदृश अधीश प्रिये,
मैं मूक-शब्द संवाद करूँ,
तुमको सहाज्य है नारों का,
मुझपर है मन-पूरित आस्था,
तुझपर मेधा-आशीष प्रिये।
मैं साइलेंट दीवाली सा,
तुम जैसे सुप्रिम कोर्ट प्रिये,
मेरी आस्था, त्योहार सभी,
तुम्हरी ख़ातिर स्पोर्ट प्रिये
मैं हिंदूमन की चुप्पी सा,
तुम ऐफ़िडेविट मंत्री का,
मेरी आशा बस निज बल है,
तुमको है सभी सपोर्ट प्रिये।
मैं कल्चरलेस एक ट्विटर ट्रोल,
तुम स्कॉलर एमिनेंट प्रिये,
मैं फ़ासिस्ट जनता भारत की,
तुम अर्बन नक्सल सी डिसेंट प्रिये,
मैं बात-बात पर फ़्रस्ट्रेटेड,
तुम शांतचित्त एजेंडा-रत,
मैं फ़ेमिली बिज़नेस का मुनीम
तुम प्रोफ़ेशनल मैनज्मेंट प्रिये।
मैं कमल नाथ का सेक्युलेरिजम,
तुम सेक्युलर वोट अधार प्रिये,
मैं थका-थका दिग्गी राजा,
तुम ऊर्जा का संचार प्रिये,
मैं पिचत्तिस लाख युवाओं में,
तुम कुर्सी इक सरकारी सी,
मैं धान खेत के गेंहू सा,
औ तुम शर्मा अभिसार प्रिये।
मैं आर्टिकल ऑपइंडिया का,
तुम प्रिंट का फेकित न्यूज़ प्रिये,
मैं रपट किसी स्टिंगर की,
तुम ‘क़ुप्ता’ जी का व्यूज प्रिये,
मैं दबा-दबा सच परतों में,
तुम फ़्रंट पेज का एजेंडा,
मैं कंट्रोलित सा लोकतंत्र,
तुम प्रेस फ़्रीडम का अब्यूज प्रिये।
मैं एक्ज़िट पोल का फोरकास्ट,
तुम काउंटिंग डे का रिज़ल्ट प्रिये,
मैं विकट डाउटित वोटर सा,
तुम सर्वेयर्स का कल्ट प्रिये,
मैं चिंता-दुःख ले चुप-चुप हूँ,
तुम हो निश्चिन्त सदा हँसती,
मैं जनगण मन की चुप्पी सा,
तुम जनता का इंसल्ट प्रिये।
मैं मिडिल क्लास का होम लोन,
तुम फ़ार्म लोन की धार प्रिये,
मैं टैक्स डिमांडित सिटिज़न सा,
तुम नेता जी सी उदार प्रिये,
मैं किश्त ढेर से दबा-दबा,
तुम लोन वेब में उड़ती सी,
मुझपर लागू सारी विधियाँ,
तुम पर अर्पित संसार प्रिये।
मैं पी एम ऐक्सिडेंटल सा,
तुम राजवंश की क्वीन प्रिये,
मैं कंट्रोलित एक नागिन सा,
तुम नागनाथ की बीन प्रिये,
मैं दास बना अब तक फिरता,
तुम आज भी चाबी भरती हो,
पर मैं जैसे मिर्ज़ा ग़ालिब,
औ तुम जैसे चिरकीन प्रिये।
@AjiHaaan
मैं नए साल का कैलेंडर,
औ तुम लोहे की कील प्रिये,
मैं रह रह उड़ती इक पतंग,
औ तुम माँझे की ढील प्रिये,
मैं चाहे जितना भी उड़ लूँ,
कंट्रोल तुम्हारे हाथों में,
मैं चंचल जैसे नदी कोई,
तुम स्थिर जैसी झील प्रिये।
मैं नॉन वायलेंस महात्मा का,
तुम पीसफुल्ल इस्लाम प्रिये,
मैं दर्शन राहुल गांधी का,
तुम मोदी जी का काम प्रिये,
मैं हूँ रफाल का ऑफ़सेट,
तुम टोटल वैल्यू सौदे की,
मैं दो दल वाला गठबंधन,
तुम उन्नीस का संग्राम प्रिये।
मैं ख़ाक हूँ खुल्ली मुट्ठी का,
तुम बंद मुट्ठी की लाख प्रिये,
मैं ठिठुरा-ठिठुरा पौष मास,
तुम कड़क तेज़ वैशाख प्रिये,
उपलब्धि मैं राहुल गांधी का,
औ तुम हो निपुण प्रियंका सी,
मैं दस जनपथ के धब्बों सा,
तुम वाडरा जितनी साफ़ प्रिये।
तुम ट्विटर के सर्विस नियमों सी,
मैं ‘भक्तों’ सा हलकान प्रिये,
तुम यू-ट्यूबी ध्रुव राठी सी,
मैं ट्वीटबाज़ नादान प्रिये,
तुम प्रॉपगैंडा खाती-पीती,
मैं तर्क-वर्क पर जीवित हूँ,
तुम जैसी कोई आपटार्ड,
औ मैं कोई इंसान प्रिये।
मैं माँ-ममता में पकी खीर,
तुम प्लेन में कटता केक प्रिये,
मैं जनमानस की ब्लेसिंग में,
तुम हॉलिडे विदाउट ब्रेक प्रिये,
मैं लाल ख़ून का भारतीय,
तुम ब्लू-ब्लड धारी डायनास्ट,
मैं टेम्पल-विज़िट जनमदिन का,
तुम डिस्को फ़्लोर पे अवेक प्रिये।
@c_aashish
मैं बालाकोटी अड्डे सा,
तुम उसपर बरसी धार प्रिये,
मैं प्रूफ़ डिमांडिंग कांग्रेस,
तुम एयरफोर्सी मार प्रिये,
यह मनुज दनुज के बीच युद्ध; ही
सत्य रहेगा हर युग का,
मैं तौबा तौबा का मक़ाम,
तुम भारत की ललकार प्रिये।
मैं एफ सिक्स्टीन पाकिस्तानी,
तुम अभिनंदन का वार प्रिये,
मैं दुनियादारी का विमर्श, औ;
तुम गीता का सार प्रिये,
मैं शांतिधर्म वाली अशांति,
तुम डरी-डरी मानवता सी,
मुझसे ख़तरे में दुनियाँ है,
तुमसे जीवित संसार प्रिये।
मैं गणित हूँ राहुल गांधी की,
तुम मोदी का इतिहास प्रिये,
मैं दिल्ली का बौना मालिक,
औ तुम कुमार विश्वास प्रिये,
मैं लगभग एक निकम्मा सा,
तुम नितिन गड़करी जैसी हो,
मुझसे परिभाषित निष्क्रियता,
औ तुमसे बड़े प्रयास प्रिये।
मैं गणित हूँ राहुल गांधी का*
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