*दिल्ली सरकार के विज्ञापनों के खर्च का सच*
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_भाजपा और काँग्रेस बार-बार दिल्ली सरकार पर विज्ञापनों के कारण निशाना साधते हैं। आइए आज सच जानते हैं_
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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के अनुसार दिल्ली सरकार का विज्ञापन खर्च:-
2015 - 16 : ₹ 81.23 करोड़
2016 - 17 : ₹ 67.25 करोड़
2017 - 18 : ₹ 117.76 करोड़
2018 - 19 : ₹ 45.54 करोड़
2019 - 20 : ₹ 199.99 करोड़
2020 - 21 : ₹ 293.16 करोड़

*6 साल में ख़र्च :- ₹ 804.93 करोड़*

*दिल्ली का बजट*

2015 - 16 : ₹ 41,129 करोड़
2016 - 17 : ₹ 46,600 करोड़
2017 - 18 : ₹ 48,000 करोड़
2018 - 19 : ₹ 53,000 करोड़
2019 - 20 : ₹ 60,000 करोड़
2020 - 21 : ₹ 63,000 करोड़

*6 साल का बजट : ₹ 3,11,729 करोड़*

विज्ञापन पर खर्च :- *बजट का 0.26%*

_*दिल्ली सरकार के विज्ञापन का उद्देश्य*_
● डेंगू रोकथाम
● कोरोना जागरूकता
● प्रदूषण नियंत्रण जागरूकता
● दिल्ली के फरिश्ते योजना
● मज़दूरों का रेजिस्ट्रेशन
● अन्य योजनाएँ
साथ ही दिल्ली हाइकोर्ट ने भी अनेकों बार दिल्ली सरकार को विज्ञापन के माध्यम से जानकारी देने के लिए कहा है। अभी 10 मई 2021 को भी हाइकोर्ट ने डॉक्टरों की भर्ती के लिए सभी प्रमुख अखबारों में विज्ञापन देने के लिए बोला है।
प्रधानमंत्री के मन की बात के हर बार ₹ 8.3 करोड़ रुपए लगते हैं और अब तक इसके 76 एपिसोड हो चुके हैं

*मन की बात का कुल ख़र्च :- ₹ 630.8 करोड़*

और मन की बात का उद्देश्य तो कोई नहीं जानता

*अब आप ही बताइए*

◆ _क्या बजट का 0.26% विज्ञापन पर ख़र्च बहुत अधिक है?_
◆ _क्या लोगों को समय-समय पर जनता को जागरूक करना गलत है?_

◆ _क्या दिल्ली हाइकोर्ट के आदेशानुसार विज्ञापन देना गलत है?_

◆ _क्या मन की बात पर 630.8 करोड़ का सरकारी खर्च उचित है?_

*आप समझदार हैं, खुद परखिए*
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