हरिशंकर परसाई ना सिर्फ बेहतरीन व्यंगकार, आलोचक बल्कि गजब के दूरदर्शी थे।जून 1991 में जो कहते हैं, उसे जरा ध्यान से पढ़िएगा-

दिशाहीन, बेकार, नकारवादी, विध्वंसकारी युवाओं की भीड़ खतरनाक होती है, इनका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति और समूह कर सकते हैं।ऐसा नेपोलियन, हिटलर 1/3
मुसोलिनी ने किया था। ये भीड़ ऐसे किसी भी संगठन के साथ हो सकती है, जो उन्माद और तनाव पैदा करे। फिर इस भीड़ से विध्वंसक काम कराए जा सकते हैं।यह भीड़ फ़ासिस्टों का हथियार बन सकती है।हमारे देश में ये भीड़ बढ़ रही है। इसका उपयोग भी हो रहा है। आगे इस भीड़ का उपयोग सारे राष्ट्रीय...
और मानवीय मूल्यों के विनाश के लिए, लोकतंत्र के नाश के लिए करवाया जा सकता है।

फिर बता देता हूं, ये बात हरिशंकर परसाई जी ने 1991 में कही थी "आवारा भीड़ के खतरे"
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