मेवाड और राजपुताना इतिहास में एक ऐसा वीर हुआ जो अपने समय का एक ही थे जो किसी के आगे ना झुके और जो उनके साथ थे उन्हें भी मुगल के सामने झुकने नहीं दिए #महाराणा_प्रताप_सिंह
कुछ विषेश उपलब्धियाँ उनकी आज जानना जरूरी है...
•पहली बार 12 वर्ष की आयु में माँ के लिए आम लाते
Next...
कुछ विषेश उपलब्धियाँ उनकी आज जानना जरूरी है...
•पहली बार 12 वर्ष की आयु में माँ के लिए आम लाते
Next...
वक्त दो अफगानों से उलझ गया और मार डाला और अपने पिता उदय सिंह जी के एक मंत्री जो गद्दार था उनको सजा दिलवाए मौत का
•13 वर्ष की आयु में माँ से जौहर का राज जानने के बाद माँ को जोहर ना करने देने पिता की अनुमति के बिना शम्स खान अफगान से युद्ध में छिपकर सामिल हुए और विजय का
Next...
•13 वर्ष की आयु में माँ से जौहर का राज जानने के बाद माँ को जोहर ना करने देने पिता की अनुमति के बिना शम्स खान अफगान से युद्ध में छिपकर सामिल हुए और विजय का
Next...
मुख्य कारण बनें, चितौड़ के किले पर अफगानों का नहीं मेवाड़ी धवज लहरा कर मेवाड़ की सेना में 13 वर्ष के महाराणा सामिल हुए
•शिक्षा प्राप्त कर अंतिम परीक्षा दे कर सफल हो कर शम्स खान को 14 वर्ष की आयु में मार कर पहले अपनी मातृभूमि से निकाल बाहर किए
•इसी आयु में पहली बार बैरमखान...
•शिक्षा प्राप्त कर अंतिम परीक्षा दे कर सफल हो कर शम्स खान को 14 वर्ष की आयु में मार कर पहले अपनी मातृभूमि से निकाल बाहर किए
•इसी आयु में पहली बार बैरमखान...
को प्रताप से सामना हुआ और भीलों को अपने साथ सामिल कर प्रताप मुगल बैरमखान को हरा कर उसे भीख में जीवन दान दिए
• 14 वर्ष में मेवाड़ के सेनापति
•फिर बुंदी को अत्याचारी राजा राव शुरतन से आजाद कराने के लिए सखा वीर बने और आजाद कराए
•फिर बिजौलिया और मेवाड़ की सीमाओं को सुरक्षित...
• 14 वर्ष में मेवाड़ के सेनापति
•फिर बुंदी को अत्याचारी राजा राव शुरतन से आजाद कराने के लिए सखा वीर बने और आजाद कराए
•फिर बिजौलिया और मेवाड़ की सीमाओं को सुरक्षित...
करने में अफागनों को सजा में मौत दिए, स्त्रियों का अपमान करने वाले एक अफगान का हाँथ और उसके सरदार को पैर काट के अलग कर दिए और सुरक्षा दिए
•15 वर्ष की आयु में मारवाड़ से युद्ध में कम सेना होने पर भी अपना कौशल प्रदर्शन किए और एक एक योद्धा के युद्ध में मुगलों द्वारा भेजे राक्षस...
•15 वर्ष की आयु में मारवाड़ से युद्ध में कम सेना होने पर भी अपना कौशल प्रदर्शन किए और एक एक योद्धा के युद्ध में मुगलों द्वारा भेजे राक्षस...
काए को एक हाथ के वार से उसके हृदय को फ़ाड़ कर मेवाड़ को विजय दिलाए भी और मारवाड़ को स्वतंत्र कर दिए अपने राज्य में सामिल ना किए (इतना बड़ा दिल
)
•मुगलों द्वारा अलवर और अजमेर को हड़पने पर उसे सजा देने के लिए पिता के साथ मिलकर दोनों किलों को आजाद भी कराया मगर जिसका था उसे..

•मुगलों द्वारा अलवर और अजमेर को हड़पने पर उसे सजा देने के लिए पिता के साथ मिलकर दोनों किलों को आजाद भी कराया मगर जिसका था उसे..
लौटा भी दिए, तब तो पिता उदय सिंह भी अपने वीर होनहार पुत्र को देख इतना गर्व हुआ की एक नई सबसे सुंदर तलवार और ढाल दिए
•विवाह से पुर्व कई लोगों की जान बचाने के लिए अकेले उस झूमर को थामे जिसे उठाने में चार बलिष्ठ लोग लगे थे और कई लोगों को मारने मुगलों ने प्रताप के लिए भेजा मगर...
•विवाह से पुर्व कई लोगों की जान बचाने के लिए अकेले उस झूमर को थामे जिसे उठाने में चार बलिष्ठ लोग लगे थे और कई लोगों को मारने मुगलों ने प्रताप के लिए भेजा मगर...
सब प्रताप से मारे गए यहाँ तक की विवाह वाले दिन भी लेकिन विजय तो एकलिंग के अवतार का ही था प्रताप को विजय का दुसरा नाम है यह 16 वर्ष का प्रताप थे
#जय_महाराणा_प्रताप #स्वाभिमान_दिवस

#MahaRanaPratapJayanti
जय एकलिंग जी
जय मेवाड़ मातृभूमि
#जय_महाराणा_प्रताप #स्वाभिमान_दिवस


#MahaRanaPratapJayanti

जय एकलिंग जी

