सन 1987 के विधानसभा चुनावों में Farooq Abdulla की NC ने भारी धांधलियां की तो उनके विरोधियों ने बंदूक उठा कर अलगाववाद का रास्ता अपना लिया। कश्मीर घाटी में हिंदुओं का नरसंहार किया गया। 10 लाख पंडित बिना लड़े पलायन कर गए। National कॉन्फ्रेंस यहीं नहीं रुकी नरसंहार की आग...👇
... ने जम्मू संभाग में पुराने डोडा ज़िल्हे को अपनी चपेट में ले लिया। आये दिन हिंदुओं को चिन्हित कर मारा जाने लगा उनकी संपत्तियों को लूटा और जलाया गया। तब एक स्थानीय राजपूत स्वर्गीय दयाकृष्ण कोतवाल इस इस्लामिक आतंकवाद के विरुद्ध उठ खड़े हुए जिसने हिंदुओं के डिग् चुके विश्वास...👇
...को जगाने का काम किया और पलायन रोक दिया। मैं उस समय लगभग 14-15 साल का था मुझे याद है हम रातों में जाग कर गाऊं की पहरेदारी करते थे। जिससे एक बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ स्थानीय युवाओं ने आतंकवादियों के विरुद्ध हथ्यार उठाने का निर्णय लिया और समूचे जिल्हा डोडा को आतंक मुक्त ..👇
....कर दिया। बंगाल की जनता को इस समय एक ऐसे ही धरतीपुत्र की ज़रूरत है ( @anirbanganguly @SuPriyoBabul) जो उनहें विश्वास दिलाये, उनके साथ खड़ा हो उनकी कठनाई को अपना समझे। चिंगारी को आग बनाये। तब दुनिया की कोई भी ताकत दुबारा बंगाल को कुचलने की सोच भी नहीं सकेगी। ..👇
कोई बाहरी नेता कब तक आकर बंगाल में डेरा डालेगा। यह आप लोगों की लड़ाई है, हिंदुस्तान के 100करोड़ हिन्दू आप के साथ हैं। उठो, जागो और युद्ध करो भारत का संविधान आपको आत्मरक्षा का अधिकार भी देता है। बिन लड़े हाथ बांध एक पशु की भांति मरने से कुछ नहीं बदलेगा। तुमहारे खड़े होने की देर है
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