ॐ नमः शिवाय 
शिरडी से १५ किमी दूर ये है दैत्य गुरु शुक्राचार्य जी का मंदिर,कच के श्राप से कारण असुर पुत्री श्रमिष्ठा देवयानी को एक कुएं में ढकेल देती है जहां राजा ययाति हाथ देकर उसे खींचते है और रक्षा करते है, १/१


प्राचीन काल में कुलीन स्त्रियां किसी पुरुष के हाथ में हाथ नही देती थी उसे पानी ग्रहण समझा जाता था,
इस प्रकार दोनो का विवाह हो गया,किंतु पानी ग्रहण के समय ग्रह स्थिती सर्वतः अनुचित थी,इसलिए शुक्राचार्य तपोबल से समस्त ग्रहों को अनुकूल करके दोनो का विवाह शास्त्र विधि से करते है१/२
इस प्रकार दोनो का विवाह हो गया,किंतु पानी ग्रहण के समय ग्रह स्थिती सर्वतः अनुचित थी,इसलिए शुक्राचार्य तपोबल से समस्त ग्रहों को अनुकूल करके दोनो का विवाह शास्त्र विधि से करते है१/२