“कोई तो ज़िम्मेदार होगा?”
(हो सके तो....निश्छल मन से पढ़ें।)
नेता और बड़े पदों पर बैठा व्यक्ति तो दूरदर्शी होता है।
कैसे प्रतिनिधि हैं आप लोग, जो भाँप ना सके के अभी पारम्परिक तरीक़े से चुनाव-चुनाव खेलने का वक्त नहीं है।देखिये....अब हम लोग कहाँ आकर खड़े हो गए हैं।
(हो सके तो....निश्छल मन से पढ़ें।)
नेता और बड़े पदों पर बैठा व्यक्ति तो दूरदर्शी होता है।
कैसे प्रतिनिधि हैं आप लोग, जो भाँप ना सके के अभी पारम्परिक तरीक़े से चुनाव-चुनाव खेलने का वक्त नहीं है।देखिये....अब हम लोग कहाँ आकर खड़े हो गए हैं।
देश के सभी पार्टियों के अगुआ(बड़े नेतागण), जिसने भी रैली की, वो कहीं ना कहीं इसके लिये ज़िम्मेदार हैं।
आप कहेंगे कैसे?
जब अगुआ मंच से हूंकार भरते हैं तो पूरा देश उन्हें देख रहा होता है। रैली की भीड़ देख कर, देश की जनता को संदेश जाता है की सब सही है....
आप कहेंगे कैसे?
जब अगुआ मंच से हूंकार भरते हैं तो पूरा देश उन्हें देख रहा होता है। रैली की भीड़ देख कर, देश की जनता को संदेश जाता है की सब सही है....
तभी तो इतने लोगों की भीड़ के सामने अगुआ लोग (सभी पार्टी के ) अपने-अपने झण्डे तले आवाहन कर रहे हैं। रैली, रोड शो...सब एक के बाद एक हो रहा है।समाचार माध्यमों से उसे घर-घर पहुँचाया जा रहा है। फिर क्या था, देश भर की जनता को संदेश गया की शायद अब वाइरस 2020 की तरह वापस नहीं आयेगा...
तभी तो इतने बड़े-बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं।आम आदमी को लगा की शायद सब ठीक हो गया है। और सब ठीक हो गया है तो छोटे-मोटे कार्यक्रम तो किए ही जा सकते हैं, त्योहार भी मनाए जा सकते हैं(सभी धर्म के)।फिर कम या ज़्यादा, लेकिन त्योहार और कार्यक्रम मनाए गए....
और कोने में बैठे(अपने स्वरूप को बदलते) लेकिन दम तोड़ रहे वाइरस को मौक़ा मिल गया। और फिर इस वाइरस ने लोगों के अंदर बड़ी संख्या में जगह पायी। वाइरस ने अपनी टूटी हुई चेन फिर से पूरे देश में जोड़ ली।चुपचाप वाइरस का इंक्युबेशन पिरीयड लोगों के अंदर शुरू हुआ।....
फिर एप्रिल 2021, के पहले सप्ताह में थोड़े लोंगों में लक्षण आए। फिर और, फिर और, फिर और.....और अब हम यहाँ आकर खड़े हो गए हैं। जहां दवा कम पड़ गयी है, ऑक्सिजन कम पड़ गया है,
हॉस्पिटल में ऑक्सिजन Beds, ICU Beds, Ventilators कम पड़ गए हैं....
हॉस्पिटल में ऑक्सिजन Beds, ICU Beds, Ventilators कम पड़ गए हैं....
तक़रीबन हर शहर में बेटे-बेटियाँ अपने माँ-बाप को लेकर चिकित्सा सुविधा की तलाश में यहाँ-वहाँ भाग रहे हैं....माँ-बाप अपने बीमार बच्चे को लेकर मदद माँग रहे हैं। ना जाने कितनी आँखें देखते-देखते अपनी आँख मूँद ले रही हैं, ना जाने कितनी साँसें चलते-चलते टूट जा रही हैं।...
लेकिन हूंकार भरने वालों में से कोई भी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।लेकिन फिर भी सवाल तो वहीं का वहीं है, कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है ? कौन है ज़िम्मेदार? कोई तो होगा?
इस सवाल पे सब एक दूसरे की तरफ़ अंगुली उठा रहे हैं।....
इस सवाल पे सब एक दूसरे की तरफ़ अंगुली उठा रहे हैं।....
अहंकार जब बहुत बड़ा हो जाता है तो गलती दिखायी नहीं देती।
हमारे देश के महापुरुषों की तो परम्परा रही है, अपनी भूल को स्वीकार करने की....और एक नयी शुरुआत करने की ।
क्यूँकि जब तक स्वीकार नहीं होगा तब तक सुधार की सम्भावना क्षीण बनी रहती है, और हम फिर से वही भूल करते जाते हैं।....
हमारे देश के महापुरुषों की तो परम्परा रही है, अपनी भूल को स्वीकार करने की....और एक नयी शुरुआत करने की ।
क्यूँकि जब तक स्वीकार नहीं होगा तब तक सुधार की सम्भावना क्षीण बनी रहती है, और हम फिर से वही भूल करते जाते हैं।....
चिन्तन करें कि कहीं हम किसी बड़े अन्धकार की तरफ़ तो नहीं बढ़ रहे।
ओह! आज कई लोगों के लिए कोशिश करते करते मैं कई बार हार गया। देखते-देखते कुछ लोग आज भी सदा के लिये चले गए।
उन सभी लोगों को नमन है जो किसी अनजान जान को बचाने की कोशिश में लगे हैं।....
ओह! आज कई लोगों के लिए कोशिश करते करते मैं कई बार हार गया। देखते-देखते कुछ लोग आज भी सदा के लिये चले गए।
उन सभी लोगों को नमन है जो किसी अनजान जान को बचाने की कोशिश में लगे हैं।....
मैं जब छोटा था तो सुना था की युद्ध के वक़्त लोगों ने एकजुट होकर अपनी क़ीमती चीज़ों को दान किया था। ये लड़ाई भी युद्ध ही है, जहां दुश्मन आँख से नज़र नहीं आता। हमें फिर से मिल कर लड़ना होगा।जो जहां है उसे वहाँ से मदद करना होगा।हर क्षेत्र के लोगों को आगे आना होगा।...
मुझे उम्मीद है कि इस Corona वाइरस की चेन जल्द ही टूटेगी।
हम सब फिर से खड़े होंगे।
लेकिन ज़िम्मेदार कौन है? ये हम सबको ईमानदारी से सोचना और स्वीकारना होगा। ताकि आने वाले कल में बेहतर उदाहरण को संग्रहालयों की किताबों में ना खोजना पड़े।...
हम सब फिर से खड़े होंगे।
लेकिन ज़िम्मेदार कौन है? ये हम सबको ईमानदारी से सोचना और स्वीकारना होगा। ताकि आने वाले कल में बेहतर उदाहरण को संग्रहालयों की किताबों में ना खोजना पड़े।...
उन सभी आत्माओं को ईश्वर शान्ति प्रदान करें।जो corona महामारी की वजह से हमारे बीच से चले गये। उनके परिवार के सदस्यों को ईश्वर इस पीड़ा को सहन करने की शक्ति दें।
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मेरी तबियत पहले से थोड़ी बेहतर है लेकिन भावनात्मक तकलीफ़ की वजह से नींद नहीं है।कल फिर से जूझना है तो थोड़ी नींद लेनी ज़रूरी है।सोता हूँ।(4:55am)
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लेकिन बेचैनी सोने नहीं देती की कहीं कोई शायद मदद माँग रहा होगा..तो चंद घण्टों में फिर से उठ बैठा हूँ।
सब भूल के मदद करें।
~विनीत
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लेकिन बेचैनी सोने नहीं देती की कहीं कोई शायद मदद माँग रहा होगा..तो चंद घण्टों में फिर से उठ बैठा हूँ।
सब भूल के मदद करें।
~विनीत