ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश में जब महामारी विकराल रूप ले रही थी तब विपक्षी पार्टियों ने सिस्टम को चेताया, लेकिन सिस्टम सोंच रहा था, ये विपक्षी पार्टियों की साजिश है।
क्योंकि
जब पिछले वर्ष 2020 में चीन के अलावा यूरोप एवं पश्चिमी देशों का महामारी से बुरा हाल था तब भी भारत पर्याप्त
स्वास्थ सुविधाएं न होते हुए भी काफी संभली हुई स्थिति में था।(इन देशों की अपेछा जहां स्वास्थ्य सुविधाएं उच्च और जनसंख्या कम है)
ये एक प्रकार का चमत्कार ही था।सरकार उसी विश्वास पर थी।जिसके कारण स्वास्थ सुविधाओं पर कोई नई रूपरेखा तैयार नही की गई और न ही इसके विकास और निर्माण पर कोई
ठोस कदम उठाया गया। इसी बीच सरकार और जनता का सेतु,सरकार का चौथा स्तंभ "मीडिया" भी अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी भूल गया। सरकार की प्रशंसा और चाटुकारिता में लग गया। जिसके कारण सरकार अपनी जिम्मेदारी और जनता की मांगों आवश्यकताओं को भूल गई। अब संकट गहरा गया।महामारी ने विकराल रूप ले लिया
अब सरकार मिथक अनायास प्रयास में जुटी हुई है।विपक्षी पार्टियों के सामने अपनी नाकामी और हार को मानना नहीं चाहती है। इससे क्या होगा संकट और गहरा होगा।
अब सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों से मदद मांगनी चाहिए, और विनम्रता पूर्वक सरकार से स्तीफा दे देना चाहिए।
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