आप जानते हैं कि ऑक्सीजन को लेकर इतना हो हल्ला क्यों मचाया गया? केन्द्र सरकार द्वारा आवंटित राशि और निर्देशों के बावजूद राज्य सरकारों ने प्लांट नहीं लगाए जिनमें सबसे प्रमुख चोट्टा निकला दिल्ली का ठग।
उसके द्वारा सुनियोजित तरीक़े से पहले ऑक्सीजन की शॉर्टेज का खेल खेला गया, उसके
और
बाद केंद्र द्वारा ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के बावजूद टैंकर नहीं भेजना और बाद में In House meeting को लाइव करवाकर इधर उधर की बातें और माफ़ी का नाटक रचा गया।इसके पीछे की कहानी आपको मैं बताती हूं !

इस देश के सालों पुराने इकोसिस्टम में बैठे वामपंथी और किराँतिकारी जो एनजीओ की दलाली
को अपना अधिकार मान चुके थे, वह क्यों ना परेशान हों. उनकी परेशानी जायज पहले तो एफसीआरए (संशोधन) ने गला कसा फिर पीएम केयर्स इनके पीछे है.

और चूँकि अधिकांश अधिकारी और पत्रकार किसी ना किसी बहाने एनजीओ गैंग के लाभार्थी होते हैं. वह चाहें अधिकारी का अपने कृपा पात्र एनजीओ को प्रोजेक्ट
दिलाना हो या फिर पत्रकारों का बिना काम का फेलोशिप पाना।
और मज़े की बात तो यह कि ये दोनों ही वर्गों के करीबी, पत्नी, भाई, पिता अक्सर एनजीओ के फाउंडिंग मेंबर्स होते हैं या वही संचालक होते हैं. तो यह सारा गठजोड़ सालों में पनपा है. और इसीलिए सब एक साथ परेशान हैं।
विदेश अनुदान अधिनियम
(एफसीआरए) 1974 में संशोधन किया गया था और साथ ही यह भी प्रावधान जोड़ दिया गया था कि जिस एनजीओ को अनुदान का पैसा मिला है वही एनजीओ काम करेगी. वह किसी और एनजीओ को ठेके पर काम नहीं देगी।
और इसी के साथ ही वामपंथी और क्रांति ब्रिगेड को पीएम केयर्स से भी बड़ी परेशानी है। जिसका साफ कारण
यह है कि विदेश फंड के बाद उनको सबसे अधिक रोजी-रोटी देने वाला कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी यानी सीएसआर फंड भी नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि सीएसआर का बड़ा फंड सीधे पीम केयर्स की ओर डायवर्ट हो जा रहा है।
अब चूँकि पीएम केयर्स उस सीएसआर को, जो वामपंथी और क्रांति माफिया की जान थी, जिसे
वह उद्योगो और कॉर्पोरेशनों पर दबाव डालकर और दलाली करके ले लेते थे. उसे लेने वाले हाथों को पीएम केयर्स से बांध दिया है, और विदेशी अनुदान पहले से ही कसा हुआ था ही।
तो जाहिर है पूरा क्रांति का गठबंधन एकदम कुढ़ा हुआ है। कहाँ उनको उम्मीद थी कि मज़दूरों का इतना पलायन दिखाया है,अब तो
सरकार डरेगी और विदेशी फंड नहीं तो सीएसआर पक्का ही है।
लेकिन मोदी ने कोरोना की आपदा में ही पीएम केयर्स की घोषणा करके फर्जी बिल के पूरे नेक्सेस पर चोट कर दी. इसीलिए उस दौर में पलायन से कुछ ना हो पाया. अब फर्जी बिल वाले क्या करें।
इसी बीच ऑक्सीजन और मेडिकल का पैनिक फैलाने का मौका
मिल गया और इसी में वह जुट गए हैं। समस्या है और मेडिकल की कमी है, लेकिन एक भी एनजीओ को खोजिए जो मास्क लगाने के लिए जागरूकता फैला रहा हो. कहीं देखिए अपने आस-पास खोजिए याद कीजिए क्या किसी एनजीओ से जन-जागरूकता फैलाई।
आखिर लोगों के मरने का ही इंतजार क्यों कर रहे थे? कोई तो कारण है ना
कि इनको कोरोना के लिए जागरूकता से ज्यादा मौका, ऑक्सीजन की कमी वाला लगा. फर्जी बिल बनाकर फंड खाने के परजीवी इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ेंगे. वैसे सत्ता को इनसे अब आर-पार खेल ही लेना चाहिए।
You can follow @Sanaya_Speaks.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled: