पिछली बार लॉक डाउन लगाया तब भी मोदी राक्षस था। क्योंकि तब कोरोना फर्जी था, घोटाला था। मजदूर वापस जा रहे थे, उनकी रोजी रोटी छीनने वाला था मोदी।

फिर कोविड मरीजों का सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज हुआ, फ्री क्वेरेनटाइन सुविधाएं दी गईं, तब भी मोदी राक्षस था, क्योंकि कोरोना तब
भी नही था और यह सब बस एक घोटाला था।

फिर वैक्सीन बन गई। चलो बनाई वैज्ञानिकों ने, लेकिन प्रावधानों में ढील देना, जरूरी कच्चा माल उपलब्ध कराना और एक ऐसा वातावरण बनाना, जिसमें वैज्ञानिकों को सकारात्मकता महसूस हो, ये सब सरकार का काम है। भारत के अलावा कोई विकासशील देश नही है जहाँ
दो वैक्सीन बनी हों , लेकिन यहाँ भी मोदी राक्षस था क्योंकि अब मोदी वैक्सीन बेचकर पैसा खायेगा।

फिर वैक्सीन फ्री लगने लगी, पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को, फिर पैंतालीस प्लस को और अब अठारह प्लस को भी। लेकिन मोदी फिर भी राक्षस ही था क्योंकि पता नही वैक्सीन में क्या था? वैक्सीन से न
जाने कितने लोग मर रहे थे, वगैरह वगैरह।

फिर कोविड केसेस कम होने लगे और लगभग खत्म ही हो गए। अब इसमें तो सरकार और मोदी का तो कोई रोल ही नही था और मोदी तो राक्षस है ही। यह तो भारतीयों की उच्च स्तर की इम्युनिटी का कमाल था। इससे यह भी सिद्ध होता है कि मोदी ने लॉक डाउन लगा कर अपनी
मूर्खता दिखाई थी।

फिर अचानक से केसेस बढ़ने लगे, पता है क्यों? मोदी की वजह से क्योंकि वो तो राक्षस है। उस राक्षस ने तो पूरे भारतीयों की इम्युनिटी ही खत्म कर दी। इस बार सो कॉल्ड इम्युनिटी काम नही आई। तो मोदी फिर से राक्षस बन गया कि लॉक डाउन नही लगा रहा है। मतलब जो लॉक डाउन
लगाने के लिए वो पिछले साल राक्षस था, उसी को वह इस साल न लगाने के लिए राक्षस बन गया। राक्षस मोदी ने बंगाल में चुनाव जीतने के लिए पूरे देश में कोरोना फैला दिया। राज्यों में ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी भी मोदी ने करवा दी, क्योंकि वो तो राक्षस है।

मतलब कुछ भी यार। कभी तो
वास्तविकता का सामना करो भाई। कम से कम इतना तो मानो कि पिछले साल लॉक डाउन के कारण लाखों जानें बचीं। इतना तो मानो कि लॉक डाउन का विरोध करके गलत किया तुम सबने।

पूरे देश मे कुल एक्टिव केसेस का लगभग साठ प्रतिशत महाराष्ट्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे राज्यों से आ रहा है। कौन से
चुनाव हैं वहाँ?

चलो माना कि बंगाल में चुनाव के कारण लॉक डाउन नही लगा और वहाँ कोरोना मोदी की चुनावी रैलियों के कारण फैलेगा, भले ही ममता, लेफ्ट और मर चुकी कांग्रेस ने भी भयानक रैलियां की हों लेकिन कोरोना सिर्फ भाजपा की रैलियों के कारण फैलेगा, लेकिन महाराष्ट्र, दिल्ली,
छत्तीसगढ़, केरल वगैरह में कोरोना क्यों फैल रहा है?

कभी पूछा तुमने कि बाकीं पार्टियों ने क्यों चुनाव का विरोध नही किया और क्यों रैलियां की?

जब पिछले इतने महीनों से राज्य खुद लॉक डाउन लगा या हटा रहे थे तो उद्धव ठाकरे, विजयन, भूपेश बघेल और अरविंद केजरीवाल वग़ैरह को किसने रोका था
फुल लॉक डाउन लगाने से? क्या यह सवाल कभी पूछा है तुमने?

क्या कभी यह सवाल पूछा तुमने कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बार बार कैमेरा पर वैक्सीन पर प्रश्न क्यों उठाये और क्यों उसके प्रभाव पर शंका व्यक्त की?

क्या कभी तुमने सोंचा कि चिकित्सा, जो कि राज्यों का विषय है, उसे देने
में असफल होने पर राज्यों के मुखिया का भी दोष है। चलो भाजपा शासित प्रदेशों में तो छोटे राक्षस हैं आपके हिसाब से, लेकिन बाकीं राज्यों के मुख्यमंत्री क्या कर रहे थे?

कभी पूछा तुमने कि विज्ञापनों पर इतना पैसा खर्च करने वाली दिल्ली सरकार एक ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट क्यों नही लगवा पाई?
कभी खुद से और अपने आसपास वालों से पूछा कि वे क्यों मास्क नही लगा रहे थे, दो गज की दूरी नही रख रहे थे और सेनिटाइजर वगैरह का प्रयोग नही कर रहे थे ? उनकी लापरवाही की सजा निर्दोषों ने भुगती।

ये पोस्ट सिर्फ उन कुंठित और दोगले लोगों के लिए है जो इस कठिन समय में भी घटिया नरेटिव सेट
करने से बाज नही आ रहे हैं।

बाकीं सरकार और मोदी की स्वस्थ आलोचना देश के भले के लिए करने वाले इस पोस्ट को इग्नोर करें।
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