चांदनीचौक के शीशगंज गुरुद्वारे में आज भी रौनक और अहमदनगर में औरंगज़ेब की कब्र पर मरघटी सन्नाटा क्यों कथित बुद्धिजीवियों? क्योंकि श्रीगुरु तेग बहादुर जी ने धर्मांतरण रोकने को शीशगंज गुरूद्वारे वाली जगह पर ही अपनी शीश कटाया था और औरंगज़ेब ने भारत को दारुल इस्लाम बनाने को शीश काटे।
24 नवम्बर 1675 ई० को सिख परम्परा के नौवें गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर जी को क्रूर मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने मृत्युदंड दिया था। औरंगज़ेब भारत को दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम बनाना चाहता था। उसने सम्पूर्ण देश में बड़े पैमाने पर गैर-इस्लामिक जनता को धर्मान्तरित करने का प्रयास किया था,....
जिसके फलस्वरूप चहुँ ओर विद्रोह शुरू हो गये थे। इसी क्रम में जब औरंगज़ेब के कश्मीर में स्थित सूबेदार शेर अफ़ग़ान ने ज़ुल्म की इंतेहा पार कर दी, तब पंडित कृपा राम के नेतृत्व में 500 कश्मीरी पंडित रोते हुए गुरु श्री तेग बहादुर जी से आनन्दपुर साहिब (रोपड़, पंजाब) में आकर मिले.....
गुरु जी ने उन सब पर रक्षा की चादर चढ़ाई कि जाओ, चिंता न करो। गुरु श्री तेग बहादुर जी ने औरंगज़ेब को खबर भिजवायी कि तू एक अकेला मुझको सिर्फ इस्लाम कबूल करवा दे, तो समझ ले कि सारे हिंदुस्तान ने इस्लाम कबूल कर लिया। औरंगज़ेब खुश हो गया कि इससे अच्छा मौका क्या मिलेगा ....
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