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आदि भाषा के आदि कवि वाल्मीकि !

विश्व की आदि भाषा संस्कृत है। उसमें वेदों के बाद इतिहास लिखा गया। जो संस्कृत क्षेत्र से अनभिज्ञ हैं वे जाने कि आज भी संस्कृत विश्वविद्यालयों में "इतिहास पुराण" विभाग में रामायण, महाभारत और १८ पुराणों का अध्यापन होता है। #valmikijayanti 👇
वेद, इतिहास और पुराणों को आर्ष साहित्य कहते हैं। वेद मानव रचित नहीं माने जाते। इसलिए संस्कृत भाषा की प्रथम रचना रामायण को माना जाता है। इस रचना के रचनाकार महर्षि वाल्मीकि है। वें रामचन्द्रजी के समकालीन थे। #महर्षि_वाल्मीकि_जयंती

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उन्हीं के आश्रम में रहकर रामायण को कण्ठस्थ कर लव और कुश ने इस काव्य को रामजी को सुनाया। इस कारण रामायण को आदि काव्य माना जाता है।

काल -
राम त्रेतायुग में हुए। आज कलियुग का ५१२२ वा वर्ष चल रहा है। उसमें द्वापर के ८ लाख ६४ हजार जोड़ देने पर कुल ८,७१,१२२ वर्ष होते हैं।

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यह त्रेता के समाप्ति का वर्ष है। उसके पहले १२ लाख ९६ हजार वर्ष त्रेता युग का काल आता है। इसलिए यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि आज से २१ लाख, ६५ हजार, १२२ वर्ष पूर्व त्रेता युग आरंभ हुआ और ८ लाख ३७ हजार १२२ वर्ष पूर्व समाप्त हुआ। #valmikijayanti

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इसके बीच रामायण घटित हुआ और काव्यरूप में आज भी जीवित हैं। इतना लंबा इतिहास किसी काव्य या कवि का नहीं है। इसलिए वाल्मीकि विश्व के आदि कवि हैं। अश्विन शुक्ल पौर्णिमा उनका जन्म दिन है।

स्थान -
बिहार प्रान्त के पश्चिम चम्पारण जनपद में वाल्मीकि नगर आता है। #वाल्मीकि_जयंती

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वहां तमसा नदी भारत और नेपाल की सीमा बनी है। तमसा के उस पार वाल्मीकि आश्रम है। तमसा के तट पर ही क्रौंचपक्षी के वध के कारण विलाप करने वाली क्रौंची (मादी) के करुण आक्रंदन को देखकर शोक से वाल्मीकिजी के मुख से काव्य फूट पड़ा। वह अनुष्ठुप छंद में निबद्ध है। #वाल्मीकि_जयंती

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खगोलशास्त्री वाल्मीकि -
महर्षि वाल्मीकि एक महान् खगोलशास्त्री थे। उन्होंने श्रीराम के जीवन से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के समय आकाश में देखी गई खगोलीय स्थितियों का विस्तृत एवं क्रमिक वर्णन रामायण में किया है, @mysql_sync #महर्षि_वाल्मीकि_जयंती

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जैसे - रामजन्म का समय दोपहर १२.०० बजे, पुष्य नक्षत्र, प्रतिपदा तिथि, शुक्लपक्ष, चैत्र मास, वसन्त ऋतु, उत्तरायण।

राष्ट्रीय एकात्मता स्थापित करनेवाला ग्रंथ -
उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक सबको जोड़ने वाले ग्रंथ का नाम रामायण है और उसके रचयिता वाल्मीकि है। #valmikijayanti

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वाल्मीकि ऋषि की यह रचना कालजयी है। "न भूतो न भविष्यति" ऐसा ऐतिहासिक ग्रन्थ उन्होंने लिख डाला। उनके बाद अनेक कवियों ने काव्यों की रचनाएं की हैं। किन्तु आज भी जो भारतीय जीवन में रामायण का महत्त्व है, वह अन्य ग्रंथ का नहीं है। @InfoVedic @vedvyazz

#महर्षि_वाल्मीकि_जयंती

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ऐसी कई विशेषताओं से युक्त वाल्मीकि रामायण हमें पढ़ना चाहिए। मूल समझने के लिए संस्कृत आनी चाहिए। यह हमारे पूर्वजों के हम पर उपकार है कि जिन्होंने इतने लाखों वर्ष तक इस जनभाषा को बदलने नहीं दिया। नहीं तो कई प्राचीन भाषाएं अब समझी नहीं जाती। @onlyonenetra

#valmikijayanti

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केवल उसके अनुवाद से ही काम चलाया जाता है। अनुवाद करने वाले का भाषाज्ञान जितना होगा वैसा अनुवाद होता है ।

महर्षि वाल्मीकि जी को शत-शत नमन।
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