गुमसुम सी बैठी हुई होगी थक के
चुप हो गई होगी अब तुम सिसक के
आँखों में आए थे जो ग़म के आँसू
हम बाँट लेंगे तुमसे लिपट के
आऊँगा सुन लो जब ओ साथी मेरे
ठंढी हवा होगी उजले सवेरे
नई सी सुबह होगी नया हर उजाला
होठों से पी लूँगा हर ग़म का प्याला
फिर एक घरौंदा बनाएँगे मिलके
दोनों रहेंगे मुहब्बत में खिल के
चिड़ियों की चूँ चूँ भी आएगी साथी
मैं हूँ दिया और तुम मेरी बाती
होगी कबूतर की अठखेलियाँ भी
तितली के पंखों की रंगीनियाँ भी
नया सा उजाला हरेक ओर होगा
चिड़ियों और पत्तों का बस शोर होगा
बस एक मेरी बात तुम याद रखना
हाथों में मेरे तुम हाथ रखना
लगना गले से ना फिर हो बिछड़ना
जो डगमगाऊँ तो कस के पकड़ना
कभी हाथ मेरा जो तुमसे छूटे
पकड़ लेना कस के भले साँस टूटे
तुम थक गए हो आ तुमको सुला दूँ
रखो गोदी में सर मैं लोरी सुना दूँ
जाओ भूल तुम इस जहाँ के झमेले
मैं हूँ साथ अब तुम नहीं हो अकेले
मैं रातों को जुगनू हथेली में भर के
तुम्हारी हर रातों को रोशन करूँगा
हाथों में लेकर के चेहरा तुम्हारा
सुनो साथी माथे को मैं चूम लूँगा
जो छायी ग़मों की बदली कभी तो
कोई धूप लाकर के मैं मल भी दूँगा
चलोगी तो पायल ये छम से बजेगी
तुम्हारी हंसी से वो दुनिया सजेगी
जो छनकेगी चूड़ी तो मैं हँस पड़ूँगा
जो रो दोगी तो मैं भी रो पड़ूँगा
बिंदिया की अपनी चमक एक होगी
काजल से आँखों में दुनिया बसेगी
होठों की मद्धम मुस्कान से मैं
कर लूँगा तुममें बसर
ऐसा होगा अपना सफ़र...
#ज़िंदगी ❤️❤️❤️
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