लव जिहाद के कारण क्या हो सकते हैं।
मेरे कुछ विचार इस विषय पर आप भी अपने बताइएगा इस थ्रेड के निचे।
जब हम स्कूल जाते हैं वहां हर जाति, धर्म के लोग होते हैं और स्कूल के समय सब लोग दोस्त होते हैं। कही साल हम जीवन के स्कूल में ही बिताते हैं।
धार्मिक शिक्षा के लिए मुस्लिम लोगों पर बहुत
मेरे कुछ विचार इस विषय पर आप भी अपने बताइएगा इस थ्रेड के निचे।
जब हम स्कूल जाते हैं वहां हर जाति, धर्म के लोग होते हैं और स्कूल के समय सब लोग दोस्त होते हैं। कही साल हम जीवन के स्कूल में ही बिताते हैं।
धार्मिक शिक्षा के लिए मुस्लिम लोगों पर बहुत
सारे मदरसे है जहां उन्हें बचपन से ही कट्टरता की शिक्षा दी जाती है हमारे पास ज्यादा ऐसे शिक्षा संस्थान नहीं, अगर है तो पेरेंट्स ज्यादा ऐसे जगह भेजते नहीं स्कूल में कामपिटिशन के कारण।
उनके हर मस्जिद में मदरसे है जहां उन्हें उनके धर्म की शिक्षा मिलती है।
उनके हर मस्जिद में मदरसे है जहां उन्हें उनके धर्म की शिक्षा मिलती है।
हमारे हर मंदिर में तो शिक्षा नहीं मिलती। वो पांच बार में से एक बार भी नवाज नहीं छोड़ते हम दो टाइम भी नहीं कर पाते क्योंकि यह शिक्षा उन्हें बचपन से मिली है लेकिन हमारे यहां बचपन से ही बच्चों में कामपिटिशन स्कूल सटेडी में भावना भर दी जाती है।
पेरेंट्स का काम पर बच्चों से ज्यादा ध्यान देना और बच्चों को आया के भरोसे छोड़ देना।
में महिला सशक्तिकरण के खिलाफ नहीं हो क्योंकि इस ट्वीट के बाद मुझे बहुत लोग कहेंगे लेकिन बच्चे पर ध्यान अच्छे से देना उनको समय देना भी मां बाप की जिम्मेदारी है।
में महिला सशक्तिकरण के खिलाफ नहीं हो क्योंकि इस ट्वीट के बाद मुझे बहुत लोग कहेंगे लेकिन बच्चे पर ध्यान अच्छे से देना उनको समय देना भी मां बाप की जिम्मेदारी है।
फिर एक उम्र ऐसी भी होती है।की बच्चों को मां बाप से ज्यादा दोस्त की जरूरत होती है उस उम्र में बच्चे बाहरी चिजो ओर टिवि में कपल्स को देखकर आर्करषित होते हैं। उस समय पेरेंट्स को बच्चों से दोस्ती करके उनको सही ग़लत समझाना चाहिए लेकिन वो पेरेंट्स भी है नहीं भूलना चाहिए
लेकिन कहीं पेरेंट्स बच्चों को हद से ज्यादा आजादी दे देते हैं तो कुछ नाम की भी नहीं देते दोनों सूरत में बच्चे हाथ से निकल जाते हैं। लाइफ में सही बेलेंस जरुरी है।
कुछ तो पेरेंट्स को ही धर्म क्या है मेरिड लाईफ में कोई फर्क नहीं पड़ता वहां बच्चों को क्या कहना
कुछ तो पेरेंट्स को ही धर्म क्या है मेरिड लाईफ में कोई फर्क नहीं पड़ता वहां बच्चों को क्या कहना
कालेज में भी हम सभी धर्मों के साथ रहते हैं।
दोस्त होते हैं किसी के मन के अंदर क्या है नहीं जानते फिर बचपन से ही सब भगवान एक है।हमें सिखाया जाता है। जब एक इंसान जीवन के इतने साल इसी सोच में गुजार देगा तो लव जिहाद में फंसना बहुत आसान है
दोस्त होते हैं किसी के मन के अंदर क्या है नहीं जानते फिर बचपन से ही सब भगवान एक है।हमें सिखाया जाता है। जब एक इंसान जीवन के इतने साल इसी सोच में गुजार देगा तो लव जिहाद में फंसना बहुत आसान है
इसका सलयूशन में मेरे विचार से बच्चों से पहले तो मां बाप को जागरूक करना चाहिए सच्चाई से अवगत कराकर ओर मां बाप को एक सही ढंग से बच्चों को समझाना चाहिए।
जब मैं छोटी तो मेरी मम्मी ने मुझे कहा था बेटा मुस्लिम लोग नान वेज खाते हैं हम नहीं तो तू मत खाना उनके साथ ओर में समझ गई
जब मैं छोटी तो मेरी मम्मी ने मुझे कहा था बेटा मुस्लिम लोग नान वेज खाते हैं हम नहीं तो तू मत खाना उनके साथ ओर में समझ गई
फिर जब मैं 17 की हुई मेरी मम्मी ने फिर समझाया बेटा तू बड़ी हो गई है कल को तेरी शादी होगी देख अगर तुझे कोई पसंद हो बता देना हम छानबीन कर शादी करा देंगे लेकिन बेटा देख कोई मुस्लिम ना हो मेरी बेटी तो एक चिटी भी नहीं मार सकती ना ओर वो लोग बकरे को भी तड़पाकर मारते हैं।
ओर हां सबसे बड़ा कारण न्यूज चैनल। भी है क्योंकि लव जिहाद में हुई हिंसा वो कभी नहीं दिखाते ओर सब तो सोशल मीडिया पर नहीं आज भी बहुत सारी लड़कियां लव जिहाद की सच्चाई नहीं जानती
बाकी कुछ ग़लत लिखा हो मेने तो माफी बाकी हींदी के महाज्ञानी लोग जो मुझे बोलने आऐगे अब यह स्पेलिंग ग़लत वो गलत उनसे भी मांफी। हिंदी कीबोर्ड में मेंरा हाथ सेट नहीं कुछ गलती हो जाती है। लेकिन मैंने कोशिश की है लिखने की बाकी कुछ ज्ञानी तो मेरी हर हिंदी ट्विट में आते ही हैं तो welcome