संविधान व लोकतंत्र की हत्या के बाद, उनके रास्ते का आख़िरी पत्थर है सैकड़ों साल से फलते-फूलते-खिलते रहे हिंदू-मुस्लिम रिश्ते।
ये रिश्ते हमारी पहचान हैं,
हमारा सम्मान हैं,
हमारा गौरव हैं।
भारत में हिंदू मुसलमान साथ रह सकते हैं,
प्यार कर सकते हैं,
शादी कर सकते हैं।
यही उनकी हार है
लड़की को माँ की कोख में मार देने वाले, दहेज के नाम पर ज़िंदा जला देने वाले, लड़की की ‘सही’ जगह रसोई व बिस्तर के परे न देख पाने वाले कैसे बर्दाश्त करेंगे,एक मुस्लिम घर में हिंदू बहु को प्यार-सम्मान मिले और उसकी पहचान भी सुरक्षित रह पाये।
ये लड़कियों के, उनकी आज़ादी के दुश्मन हैं।
पितृसत्ता को जब चोट लगती है तो वो धार्मिक बँटवारे का सहारा लेती है। ऊपर वाली tweet किसी भी तरह हिंदू धर्म पर टिप्पणी नहीं है। बल्कि उस सोच पर है जो एक महिला को उसकी मर्ज़ी का जीवन जीने, जीवनसाथी चुनने के अधिकार से वंचित करती है, और महिला के शरीर व sexuality पर क़ब्ज़ा चाहती है।
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