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"किस्मत जब पलटती है तो सब कुछ पलट कर रख देती है, इसलिए अच्छे समय में अहंकार न करें और बुरे समय में धैर्य रखें" कहीं पढ़ा था...
गुजरात दंगों को लेकर कांग्रेस, सेकुलर दलों और उनके टुकड़ों पर पलने वाले मीडिया के
"किस्मत जब पलटती है तो सब कुछ पलट कर रख देती है, इसलिए अच्छे समय में अहंकार न करें और बुरे समय में धैर्य रखें" कहीं पढ़ा था...
गुजरात दंगों को लेकर कांग्रेस, सेकुलर दलों और उनके टुकड़ों पर पलने वाले मीडिया के
एक ख़ास वर्ग ने जब मोदी पर लगातार आक्रमण, उनकी बदनामी करना शुरू की तब उनको मोदी के व्यक्तित्व और आंतरिक शक्ति का अंदाज़ा नहीं था। मोदी को बदनाम करने और परेशान करने का कोई मौक़ा कांग्रेस, राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त और ख़ास तौर
पर अंग्रेजी मीडिया ने नहीं छोड़ा। गुजरात दंगे गोधरा कांड की ही परिणीति थे लेकिन इन लोगों ने कभी भूलकर भी उन निहत्थे मासूम लोगों का ज़िक्र नहीं किया जिनको साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जला दिया गया था।
इनका विलाप (?) सिर् विशेष वर्ग के लिए ही था जिससे सत्ता सुख निर्बाध रूप से जारी रहे। इनको लगा था इतना परेशान करने पर मोदी टूट जायेंगे, डर जायेंगे, हार जायेंगे लेकिन हुआ इसके ठीक उलट, मोदी के ख़िलाफ़ की गई तमाम साज़िशें, बयानबाज़ियाँ मोदी के लिए
वरदान साबित हुईं। मोदी बिना कुछ बोले ये सब सहते हुए गुजरात को बेहतर बनाने में दिन रात जुटे रहे और गुजरात की कायापलट करके रख दी। इसी ने मोदी को और प्रसिद्धि दिलवा दी।
2014 के चुनावों के पहले के बयानों को याद कीजिये, क्या क्या नहीं बोला गया।
2014 के चुनावों के पहले के बयानों को याद कीजिये, क्या क्या नहीं बोला गया।
विरोधियों को कहीं भी मोदी लहर नज़र नहीं आ रही थी लेकिन देश की जनता ने उसे महासुनामी बना दिया। समूचा विपक्ष चारों खाने चित्त हो गया। हतप्रभ विपक्ष ने और उत्साहित देश ने पहली बार जब किसी नेता को संसद की सीढ़ियों पर माथा टेकते देखा तो यक़ीन मानिये
लोगों की आँखों से खुशियों के आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। लगा अब देश में कोई सही नेता आया है और ये ज़रूर हमारे सपनों को पूरा करेगा।
देश की जनता के इस विश्वास पर खरा उतरने में मोदी ने कोई कसर बाक़ी नहीं रखी, पद संभालने के दिन से लेकर तो आजतक ये
देश की जनता के इस विश्वास पर खरा उतरने में मोदी ने कोई कसर बाक़ी नहीं रखी, पद संभालने के दिन से लेकर तो आजतक ये
कर्मवीर बिना रुके, बिना थके, बिना विचलित हुए अपने काम में लगा है। विरोधियों ने बदनाम करने के अपने एजेंडे को आज भी जारी रखा है। इनके रहमोकरम पर ज़िंदा कई बुद्धिजीवी (?) इनके इशारे पर मोदी को बदनाम करने में ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।
कामयाब भी हुए लेकिन मोदी अपने काम में जुटे हुए हैं।
अब बाज़ी मोदी के हाथ में है, जब इनके हाथ में थी तब इन्होंने अपने मन की की, मोदी ने उफ़्फ़ तक नहीं की। लेकिन आज जब मोदी बिना कुछ बोले इनको तकलीफ़ देते हैं तब ये तिलमिला उठते हैं।
अब बाज़ी मोदी के हाथ में है, जब इनके हाथ में थी तब इन्होंने अपने मन की की, मोदी ने उफ़्फ़ तक नहीं की। लेकिन आज जब मोदी बिना कुछ बोले इनको तकलीफ़ देते हैं तब ये तिलमिला उठते हैं।
मोदी को अच्छे से पता है कि क्या करने से क्या होगा? कहाँ की नस दबाऊंगा तो दर्द कहाँ उठेगा, मोदी नस दबाते जा रहे हैं और वो दर्द से कराहते जा रहे हैं। मोदी के इस दर्द का कोई इलाज कांग्रेस को सूझ नहीं रहा है। हताशा में इनके नेता और भी उलजलूल बयान दिए जा रहे हैं
और मोदी का काम आसान किये जा रहे हैं।
पहले मोदी अकेले इनसे भिड़ते थे लेकिन आज सोशल मीडिया के माध्यम से देश विदेश में बैठा लाखों करोड़ो भारतीय इन नेताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को आईना दिखा रहा है। जिसे ये लोग बीजेपी के गुंडे बोलते हैं। जबकि हक़ीक़त ये है
पहले मोदी अकेले इनसे भिड़ते थे लेकिन आज सोशल मीडिया के माध्यम से देश विदेश में बैठा लाखों करोड़ो भारतीय इन नेताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को आईना दिखा रहा है। जिसे ये लोग बीजेपी के गुंडे बोलते हैं। जबकि हक़ीक़त ये है
कि लोग भाजपा के नहीं मोदी के समर्थक हैं और अपने प्रिय नेता के ख़िलाफ़ लिखने, बोलने वालों की ये लोग धज्जियाँ उड़ा देते हैं।
विरोधी आज भी समझ नहीं पा रहे हैं कि जिस आदमी के कहने पर लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी, जिसके एक बार कहने पर खादी को अपना लिया,
विरोधी आज भी समझ नहीं पा रहे हैं कि जिस आदमी के कहने पर लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी, जिसके एक बार कहने पर खादी को अपना लिया,
जिसके अचानक टीवी पर आकर नोटबंदी जैसे बड़े क़दम को सिर माथे पर ले लिए, जिसके कहने पर जनता बिना शोर शराबा किये लाइन में खड़ी रही, जो विरोधियों के लाख चाहने पर भी नहीं भड़की। क्योंकि जनता को अब विरोधियों पर विश्वास नहीं रहा, उसका अटल विश्वास मोदी पर बना हुआ है।
जिसके साथ पूरा देश खड़ा हो उसे मुठ्ठी भर विरोधियों के होने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
तुम्हारा वक़्त था, तुमने अपनी मनमर्जी की अब वक़्त मोदी का है। उसने गांधी छीना, चरखा छीना, पटेल छीना और तुम्हारा सुख चैन सब कुछ छीन लिया, उसने कहा भी था कि कुछ लोगों को तो डरना पड़ेगा,
तुम्हारा वक़्त था, तुमने अपनी मनमर्जी की अब वक़्त मोदी का है। उसने गांधी छीना, चरखा छीना, पटेल छीना और तुम्हारा सुख चैन सब कुछ छीन लिया, उसने कहा भी था कि कुछ लोगों को तो डरना पड़ेगा,
तुम्हारे अंदर उसका डर होना चाहिये। तुम्हारी तिलमिलाहट ही उसकी मुस्कुराहट का कारण है और देश भी उसके साथ अट्टहास लगा रहा है। कितना बेबस और लाचार कर दिया है उसने तुम्हें, तुम्हारी ये बेबसी बहुत सुकून देती है।
क़िस्मत पलटी और उसने बहुत कुछ तो पलटकर रख दिया है लेकिन..
क़िस्मत पलटी और उसने बहुत कुछ तो पलटकर रख दिया है लेकिन..
पिक्चर अभी बाक़ी है...