2006 में बिहार में APMC को बंद कर दिया गया और कारण यह दिया गया कि निजी कंपनिया आएंगी और अपना बाजार बनाएंगी जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलेगा। आज नीतीश, मोदी और बिहार सरकार बताए ऐसा कुछ हुआ है क्या? जबकि सच्चाई यह है कि 2006 के बाद बिहार के किसान अपनी जमीन छोड़कर पंजाब,
हरियाणा और राजस्थान में जाकर खेतिहर मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन कर रहे है। पलायन भी 2006 के बाद बड़ी मात्रा में हुआ है। अगर तब APMC को बंद ना करके इसको और मजबूत किया गया होता तो आज बिहार के किसानों की ये हालत ना होती। आज बिहार में धान की कीमत खुले बाजार में 1000/प्रति क्विंटल
से ज्यादा नही है। मक्के की कीमत 600/प्रति क्विंटल से ज्यादा नही है। प्रधान मंत्री सरासर झूठ बोल रहे है की किसानों को अब कहीं भी अपना माल बेचने की आजादी है। सच तो यह है कि किसान को ये आजादी हमेशा से है 1975 के बाद। आज भी बिहार का किसान अपना दाल मुंबई के व्यापारियों को बेचता है।
मुजफ्फरपुर और मोतिहारी का लीची उत्पादक अपना माल पूरे विश्व को बेचता है। इस कानून की सबसे घातक और काली बात किराए की खेती है जो किसानों के लिए आत्मघाती साबित होगी। supply chain भारत सरकार को बनाना चाहिए ना कि निजी कंपनियों के भरोसे रहना चाहिए। अब बात यह है कि ये सरकार केवल एक
एजेंट और कर वसूली केंद्र बन गयी है। इस कानून से सभी वर्ग प्रभावित होंगे कुछ अमीर और भ्रष्ट लोगो को छोड़कर जो समाज के शोषक का प्रतीक बन चुके है। वे अब हमसे हमारा खून माँगकर उन चंद अमीर लोगो को देना चाहते है अतः आप सबसे निवेदन है कि सामने आए और इसके खिलाफ लड़े। ये लड़ाई बस किसानों
की नही है ये लड़ाई हम सबकी है, ये लड़ाई भारत उन 90% लोगो की है जिनके हिस्से में भारत के कुल धन का 10% भी नही है। वे सब मिलकर आप लोगो का शोषण कर रहे है। अब आपको जागना होगा वरना आपकी आनेवाली पीढ़ी भी गुलामो की तरह जीवन व्यतीत करेगी।
आवाज दो हम एक है।
जय हिंद।
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