कॉरपोरेट घरानों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और यूरोप में असफल हो चुका "कृषि फ्री मार्केट प्रारूप" को भारत में जबरदस्ती अध्यादेश पास कराकर लागू कर दिया !

बिल क्लिंटन सरकार ने बड़े बड़े दावे किए. नए किसान अध्यादेश से उनकी आय बढ़ेगी. डेमोक्रेटिक हो या
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रिपब्लिकन पार्टी, दोनों कांग्रेस सदन में एक हो गए. 1996 में कांग्रेस हाउस ने नए अध्यादेश को पास कर कृषि सब्सिडी को खत्म कर दिया और कृषि क्षेत्र को पूरी तरह फ्री मार्केट के हवाले कर दिया !

सारे दावे झूठे साबित हुए. फायदा केवल उद्योगपतियों को हुआ. किसानों की आमदनी
2)
बढ़ाने के बजाय गिरने लगी !

शुरवात में निजी कंपनियों ने आपस में कॉम्पिटिशन कर अच्छे दाम देकर किसानों से उनकी उपज खरीदी. बाद में कॉरपोरेट घरानों ने आपस में मिलकर तय किया किसानों से फसल खरीदते हुए आपस में कॉम्पिटिशन नही करेंगे !

265 एकड़ भूमि पर सब्जी उगाने वाला
3)
किसान को उसकी लागत से कम दाम मिलने लगे. हर कंपनी ने अपना इलाका विभाजित कर लिया था. एक ही कंपनी ने कहा सब्जी इतने दाम में बेचते हो तो बेचो, नही तो तुम्हारी सब्ज़ी सड़ जाएगी. मजदूरन किसान ने कम कीमत पर सब्ज़ी बेच दी !

नतीजा किसान कर्ज के तले दब गया. 265 एकड़ जमीन पर बैंको
4)
ने कब्जा कर किया. किसान आत्महत्या करने का विचार कर रहा है !

अमेरिका और यूरोप का कृषि मॉडल असफल हो चुका है. फिर असफल हो चुके मॉडल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां क्यों लागू किया ?

उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कितना नीचे गिरेगा यह इंसान !
5)

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