दो सवाल:
- जो एमएसपी से कम दाम देगा, किसान उसे अपनी फ़सल बेचेगा क्यों?
- क्या एमएसपी से ज्यादा दाम देकर निजी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े को चोट पहुँचने देंगी?
दोनों ही मामलों में नए कानून की जरूरत क्या?
#FarmBill2020
- जो एमएसपी से कम दाम देगा, किसान उसे अपनी फ़सल बेचेगा क्यों?
- क्या एमएसपी से ज्यादा दाम देकर निजी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े को चोट पहुँचने देंगी?
दोनों ही मामलों में नए कानून की जरूरत क्या?
#FarmBill2020
दोनों प्रश्नों का उत्तर सीधा है:
-अगर किसान को एमएसपी से कम दाम मिलेगा तो जाहिर वह अपनी फ़सल मंडी में ही बेचेगा, प्राइवेट सेक्टर में नहीं। नया कानून किसानों को विकल्प देता है। अगर अच्छा दाम मिले तो प्राइवेट में बेच दें। न मिले तो मंडी तो है ही।
-अगर किसान को एमएसपी से कम दाम मिलेगा तो जाहिर वह अपनी फ़सल मंडी में ही बेचेगा, प्राइवेट सेक्टर में नहीं। नया कानून किसानों को विकल्प देता है। अगर अच्छा दाम मिले तो प्राइवेट में बेच दें। न मिले तो मंडी तो है ही।
-इसी तरह आज प्राइवेट कंपनियाँ अधिकांश किसानों से सीधे उपज नहीं ख़रीद सकतीं और न ही उन पर एमएसपी लागू होता है। नया कानून बनने से वे किसानों से सीधे खरीद सकेंगी। उन्हें सरकार की तरह सब्सिडी पर अनाज नहीं बेचना होता।लिहाजा वे किसानों को बेहतर कीमत या प्रोत्साहन दे सकती हैं।
इसलिए यह चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि प्राइवेट कंपनियाँ किसानों को ठग लेंगी या उन्हें लूट लेंगी। किसान अपनी फ़सल उन्हें तभी बेचेगा जब उसे बेहतर दाम मिलेगा।