राम नाम कि महिमा
1) जीभ वागेन्द्रिय है उससे राम राम जपने से उसमें इतनी अलौकिकता आ जाती है की ज्ञानेन्द्रिय और उसके आगे अंतःकरण और अन्तः कारण से आगे प्रकृति और प्रकृति से अतीत परमात्मा तत्व है , उस परमात्मा तत्व को यह नाम जाना दे ऐसी उसमें शक्ति है .
2 ) राम नाम मणिदीप है . एक दीपक होता है एक मणिदीप होता है . तेल का दिया दीपक कहलाता है मणिदीप स्वतः प्रकाशित होती है . जो मणिदीप है वह कभी बुझती नहीं है . जैसे दीपक को चौखट पर रख देने से घर के अंदर और भर दोनों हिस्से प्रकाशित हो जाते हैं वैस ही राम नाम को जीभ पर रखने से
अंतःकरण और बाहरी आचरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं . 
3 ) यानी भक्ति को यदि ह्रदय में बुलाना  हो तो,  राम नाम का जप करो इससे भक्ति दौड़ी चली आएगी .

4 ) अनेक जन्मों से युग युगांतर से जिन्होंने पाप किये हों उनके ऊपर राम नाम की दीप्तिमान अग्नि रख देने से  सारे पाप कटित हो जाते हैं .
5) राम के दोनों अक्षर मधुर और सुन्दर हैं . मधुर का अर्थ रचना में रस मिलता हुआ और  मनोहर कहने का अर्थ है की मन को अपनी और खींचता  है . राम राम कहने से मुंह में मिठास पैदा  होती है . दोनों अक्षर वर्णमाल की दो आँखें हैं .राम के बिना वर्णमाला भी अंधी है.
6 ) जगत में सूर्य पोषण करता है और चन्द्रना अमृत वर्षा करता है  है . राम नाम विमल है जैसे सूर्य और चंद्रमा को राहु –  केतु ग्रहण लगा देते हैं , लेकिन राम नाम पर कभी ग्रहण नहीं लगता है . चन्द्रमा घटता –  बढता रहता है लेकिन राम तो सदैव बढता रहता है
अतः यह निर्मल चन्द्रमा और तेजश्वी सूर्य के समान है

7 ) अमृत के स्वाद और तृप्ति के सामान राम नाम है राम कहते समय मुंह खुलता है और म कहने पर बंद होता है . जैसे भोजन करने पर मुख खुला होता है और तृप्ति होने पर मुंह बंद होता है . इसी प्रकार रा और म अमृत के स्वाद और तोष के सामान हैं
8) छह कमलों में एक नाभि कमल [चक्र] है उसकी पंखुड़ियों में भगवान के नाम है , वे भी दिखने लग जाते हैं . आँखों में जैसे सभी बाहरी ज्ञान होता है ऐसे नाम जाप से बड़े बड़े शास्त्रों का ज्ञान हो जाता है , जिसने पढ़ाई नहीं की,
शास्त्र नहीं पढ़े उनकी वाणी में भी वेदों की ऋचाएं आती है. वेदों का ज्ञान उनको स्वतः हो जाता है .
9 ) राम नाम निर्गुण और सगुण के बीच सुन्दर साक्षी है . यह दोनों के बीच का वास्तविक ज्ञान करवाने वाला चतुर दुभाषिया है . नाम सगुण और निर्गुण दोनों से श्रेष्ट चतुर दुभाषिया है
10 ) राम जाप से रोम रोम पवित्र हो जाता है, साधक ऐसा पवित्र हो जाता है उसके दर्शन, स्पर्श भाषण से ही दूसरे पर असर पड़ता है.अनिश्चिता दूर होती है शोक चिंता दूर होते हैं , पापों का नाश होता है, वे जहां रहते हैं वह धाम बन जाता है वे जहां चलते हैं वहां का वायुमंडल पवित्र हो जाता है।
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