बचपन की बात है।
मुझे घर में एक्वेरियम लाने का चस्का लगा था उस वक़्त। एक दिन मम्मी पापा बाज़ार गए और खूब सारी गोल्डफिश से भरा हुआ एक्वेरियम ले आए।
अहा बहुत मज़ा आया था उस दिन !

फिर एक दिन मुझे बाज़ार में लाल रंग की मछलियां दिखी। मुझे लाल और पीला कॉम्बिनेशन हमेशा से पसंद था..

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थोड़ी सी ज़िद की और फिर लाल मछलियां भी खरीद ली गई। मेरे स्वर्गमई जीवन में हर्ष का एक और कारण आ गया।

पर अगली सुबह जो मैंने देखा वो बहुत चौंकाने वाला था। पुरानी मछलियां नई कुरंगी मछलियों से लड़ कर कत्ल ए आम कर चुकी थी। स्वर्ग का एक हिस्सा अब नर्क बनाए भी बदतर बन चुका था।
बात सोचने की है।
भगवान को कैसा लगता होगा जब हम लोग जाती या धर्म के आधार पर एक दूसरे से लड़ते हैं ?

भगवान ने हम सबको अलग अलग समुदायों में अलग संस्कृतियों के साथ इसलिए बनाया है क्यूंकि इसी में हमारी खूबसूरती छिपी है जो भगवान के हृदय को आनंदित करती है।
एक छोटे बच्चे के स्नेह की तरह
ऐसा नहीं है कि हम लोग लड़ने के लिए बने हैं। मैंने झीलों में अलग रंगों की मछलियों को साथ रहते देखा है। हां, हालांकि अप्राकृतिक जगह जैसे एक्वेरियम में ये नहीं हो पाता।

अगर आप लोगों में आपस में द्वेष हो रहा है, तो संभल जाइए। ये आपका प्राकृतिक ठिकाना नहीं है। आपका ठिकाना स्वर्ग है♥️
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