Ek Vyakarnacharya ko maine Moodh bol diya aur unko Bura lag gaya. This quote from Osho. It took me 30 years to get this point. जब अखंडानंद जी के उपनिषद पर प्रवचन सुनने शुरु किये तब अभी 2-3 वर्ष पहले यह बात समझ में आयी।

1/
"जिन्होंने वेद, पुराण, उपनिषद लिखे, चाहते तो इतिहास नहीं लिख सकते थे ?

पर जिन्होंने संसार को माया कहा, वे इतिहास लिखें तो कैसे लिखें ? किस बात का इतिहास ? बगूलों का इतिहास ? मृगमरीचिकाओं का इतिहास ? इन्द्रधनुषों का इतिहास ? जो है नहीं, उसका इतिहास ?

2/
तुम सुबह उठकर रात देखे सपने तो नहीं लिखते ? सपना कोई लिखने की बात है ?

सिकंदर कब पैदा हुआ, इससे हमें क्या लेना देना । एक सिकंदर हुआ, दूसरा सिकंदर हुआ - इसका विवरण क्षुद्र इतिहास है । हमने सारे सिकंदरों की वृत्ति की कहानी लिख दी - वह पुराण है ।
3/
वे पूछते हैं इतिहास, हम लिखते हैं पुराण ।

- ओशो"

4/4
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