क्या आबकारी विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव कभी आया? यह टैक्स विभाग का? या रजिस्ट्री ऑफ़िस का? RTO का? PWD का? कभी चर्चा हुई? क्यूँ नहीं हुई?

क्यूँकि ये हमेशा से सरकारों के लिए कमाई के बड़े माध्यम रहे, भ्रष्टाचार के जनक ही ये विभाग रहे हैं। फिर निजीकरण सरकार किनका कर रही है?
निजीकरण हो रहा है नवरत्नों का, रेलवे का, हवाई अड्डों का, HAL, BPCL, LIC, Pawan Hans, BSNL, Coal India एवं अन्य 28 PSU का।

ये सभी संस्थाएँ देश की तरक़्क़ी के भागीदार रही, यहाँ भ्रष्टाचार नहीं हुआ, कभी आपने घूँस की शिकायत नहीं सुनी होगी। सरकार को इनसे दुश्मनी क्यूँ?
बड़े उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुँचाने और अकूत सम्पत्ति बनाने की नीयत से देश की अधिकतर PSU कम्पनियों का निजीकरण किया जा रहा है। आप खुली आँखों से सच्चाई देखिए और ‘राष्ट्रवाद’ की धुँध अपने चेहरे के सामने से हटाइए। डूबते भारत की तस्वीर दर्दनाक है।
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