ध्यान के समय नींद

ध्यान साधना के दौरान हमे अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है
की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है,क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है
ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है,
योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है,
बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है ।
तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे
अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि
ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे

खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे ।

निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही ।
जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये

ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट् के कुछ आसन की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले ।
ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये ।
ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे ।

ध्यान का अभ्यास करने से पहले नाड़ी शोधन प्राणायाम अवश्य कर ले यह मस्तिष्क को शांत करने के लिए काफी आवश्यक होता है
शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे ।

सबसे आवश्यक बात है अपने भोजन का चयन।हमें हमेशा सात्विक भोजन ही लेना चाहिए ना कि तामसिक ,तामसिक भोजन लेने से बाधाएं आ सकती है
हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आसन साफ सुथरा हो। कहां पर हम ध्यान कर रहे हैं वह कमरा साफ सुथरा हो और कमरे में किसी भी प्रकार की गंध ना आ रही हो
आभार श्री रवि रूहानी जी
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