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नीरा आर्य की कहानी। जेल में जब मेरे स्तन काटे गए !

इतनी यातनाएं दी गईं और नेहरू कहता है चरखा से आजादी मिली..?
पूर्ण स्वाधीनता,,संग्राम की मार्मिक गाथा

नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में
सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था।
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था।नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस
की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फ़ौज के समर्पण के बाद जब लाल किला में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी,
जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई।
आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया
लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची,
तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं,जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई,कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा।
मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते
स्वतंत्रता कैसे मिलेगी,जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरों की हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है।
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्याअंधा है, जो पैर में मारता है?
’पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे
कर भी क्या सकती हूँ.’’फिर मैंने उनके ऊपर थूक दिया था,‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा,‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा,यदि तुम बता दोगी कि
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई पत्तियाँ
काटने के काम आता है,उस ब्रेस्ट रिपर को उठा लिया और मेरे दाएँ स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा,
‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे छाती से अलग कर दिए जाएँगे...’’ उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’
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