सिन्दूर की खत्म होती परंपरा को बचायें,

प्राचीनकाल से ही सुहागन स्त्रियों के लिए मांग में सिन्दूर भरने की परम्परा चली आ रही है। सिन्दूर को स्त्री के 16 श्रंगारों में से एक माना गया है। सुहाग के प्रतीक के तौर पर हर सुहागन महिला द्वारा इसे अपनी मांग में भरा जाता है। @sattology
हिन्दू मान्यता अनुसार सिन्दूर लगाने के महत्व-
माना जाता है कि सिन्दूर देवी पार्वती का प्रतीक है। जो भी महिला सिन्दूर लगाएगी, देवी पार्वती उसके पति की जीवन भर हर संकट से रक्षा करेंगी और यह भी माना जाता है उसे देवी पार्वती से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त हो जाता है।
देवी लक्ष्मी को हिन्दू मान्यतानुसार सिर पर विराजमान बताया गया है। इसलिए विवाहित स्त्रियाँ सिर पर सिन्दूर लगाकर लक्ष्मी को सम्मान देती हैं। लक्ष्मी की कृपा से पति-पत्नी लम्बे समय तक साथ रहते हैं। उनके सम्बन्धों में मधुरता रहती है।
माना जाता है कि मेष राशि माथे पर स्थित होती है। मंगल, मेष राशि का स्वामी है, जो लाल रंग का है। अतः सिन्दूर स्त्री एवं उसके पति दोनों के लिए सौभाग्य का प्रतीक है। यह पति के लिए लम्बी उम्र की कामना का प्रतीक माना गया है।
वैज्ञानिक मान्यता अनुसार सिन्दूर लगाने के महत्व-
महिलाओं द्वारा अपने मस्तिष्क के बीचों-बीच सिन्दूर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस स्थान पर ब्रह्मरंध्र नामक ग्रंथि विध्यमान रहती है। यह मस्तिष्क के आगे भाग से बीच वाले भाग तक फैली होती है। यह भाग बहुत संवेदनशील होता है,
सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है,जिसे शरीर पर लगाने से विद्युत ऊर्जा नियंत्रण होती है।
इससे महिलाओं में तनाव, अनिंद्रा, सिर दर्द एवं मस्तिष्क संबंधी समस्यायें नहीं रहती।
इसके अलावासिंदूर के प्रयोग से रक्तचाप में संतुलन बना रहता है।
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