*शाहजहां को उसके बेटे औरंगजेब ने 7 वर्ष तक कारागार में रखा था। वह उसको पीने के लिए नपा-तुला पानी एक फूटी हुई मटकी में भेजता था तब शाहजहाँ ने अपने बेटे औरंगजेब को पत्र लिखा जिसकी अंतिम पंक्तियां थी-*
ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,
ब पिदरे जिंदा आब तरसानी,
आफरीन बाद हिंदवान सद बार,
मैं देहदं पिदरे मुर्दारावा दायम आब
अर्थात्
हे पुत्र ! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को पानी के लिए भी तरसा रहा है। शत शत बार प्रशंसनीय हैं वे & #39;हिन्दू& #39; जो अपने मृत पूर्वजो को भी पानी देते हैं
ब पिदरे जिंदा आब तरसानी,
आफरीन बाद हिंदवान सद बार,
मैं देहदं पिदरे मुर्दारावा दायम आब
अर्थात्
हे पुत्र ! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को पानी के लिए भी तरसा रहा है। शत शत बार प्रशंसनीय हैं वे & #39;हिन्दू& #39; जो अपने मृत पूर्वजो को भी पानी देते हैं
: *इसाई धर्म*
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ईसा एक है
बाइबिल एक।
फिर भी, लेटिन कैथलिक, सीरियन कैथलिक, मारथोमा, पेंटेकोस्ट, सैल्वेशन आर्मी, सेवेंथ डे एडवांटिष्ट, ऑर्थोडॉक्स, जेकोबाइट जैसे 146 फिरके आपस में किसी के भी चर्च में नहीं जाते।
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ईसा एक है
बाइबिल एक।
फिर भी, लेटिन कैथलिक, सीरियन कैथलिक, मारथोमा, पेंटेकोस्ट, सैल्वेशन आर्मी, सेवेंथ डे एडवांटिष्ट, ऑर्थोडॉक्स, जेकोबाइट जैसे 146 फिरके आपस में किसी के भी चर्च में नहीं जाते।
*इस्लाम धर्म*
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अल्लाह एक,
कुरान एक,
नबी एक।
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फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसे 13 फिरके एक दुसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग मस्जिदें। साथ बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करने को सदैव आमादा।
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अल्लाह एक,
कुरान एक,
नबी एक।
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फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसे 13 फिरके एक दुसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग मस्जिदें। साथ बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करने को सदैव आमादा।
*हिन्दू धर्म*
1280 धर्म ग्रन्थ
10 हज़ार से ज्यादा जातियां, अनगिनत पर्व एवं त्योहार,
असंख्य देवी-देवता।
एक लाख से ज्यादा उपजातियां, हज़ारों ऋषि-मुनि, सैकड़ों भाषाएँ।
फिर भी सारे हिन्दू सभी मन्दिरों में जाते हैं और सारे त्योहारों को मनाते हुए आपस में शान्ति एवं शालीनता से रहते हैं।
1280 धर्म ग्रन्थ
10 हज़ार से ज्यादा जातियां, अनगिनत पर्व एवं त्योहार,
असंख्य देवी-देवता।
एक लाख से ज्यादा उपजातियां, हज़ारों ऋषि-मुनि, सैकड़ों भाषाएँ।
फिर भी सारे हिन्दू सभी मन्दिरों में जाते हैं और सारे त्योहारों को मनाते हुए आपस में शान्ति एवं शालीनता से रहते हैं।