#Thread #बचपन #90skid

कोई देखो तो सोनुआ उठा कि अभी तक सुतले है

कोई उठाओ और बोलो उसको 6 30 हो गया

सुबह आँखें खुलते ही
माँ हाथ में दूध का कमंडल थमा के कहती थी
जल्दी जा नहीं तो पानी मिला देगा
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दो तीन बार बाहर चक्कर लगा के पिताजी कहते थे
अरे जा देख आ तो बगल वाला के यहाँ पेपर आया है क्या ?

कभी बिजली का पोल हिला के लाइट लाने की कोशिश तो कभी सिलिंडर लेके लाइन में खड़े रह ट्रक का इंतज़ार
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होली में सुबह घंटो लाइन में लग के चिकन खरीदना हो
या
दीवाली से एक दिन पहले मिठाई लेने के लिये भीड़ में कुदना हो

मिल जाने पे एक हाथ में सामान लिये दूसरे हाथ से तेज़ हो bowling प्रैक्टिस करते हुये ख़ुशी से घर जाना होता था ।
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ऑटो में अंदाज़ मूवी के गाने सुनते हुये कभी आगे बैठा कंडक्टर बन जाता था
तो कभी
बस के इंतज़ार में खड़ा खड़ा स्टॉप पे दोस्तों के साथ लफंडर बन जाता था
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कभी अचानक से मेहमान आ जाये तो छुपा के मिठाई पहुँचाने को पीछे से घर में घुसने को बंदर बन जाता था
तो कभी
दो दिन के बचाये पैसों से पॉपिंस खरीद के भाई के सामने सिकंदर बन जाता था ।
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बॉम्बे डाईंग की दुकान से पापा के साथ जाने पर नाम लिखने वाला स्टीकर हो
या
बाज़ार में आई नई पेन पेंसिल मिल जाये तो
स्कूल जाते ही ज़िन्दगी
जैसे खुशियों का समुंदर बन जाता था ।
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सुबह उठ के बंद साईकल रिपेयर दुकान के सामने से गोली चुनना हो
या
शाम सड़क से उठाये हुये रेपर से टॉस जीतने पर भी जान बूझ कर सबको चिढ़ाने को बोलिंग चुनना हो

ये वैसी यादें है
जो
हमेशा दिल के करीब रहती हैं
#Abvishu
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