#Thread
पीएम के नाम खुला पत्र

माननिय @narendramodi जी,

आज #6YearsOfJanDhanYojana ke उपलक्ष्य में आपको सरकारी और निजी बैंकों के कुछ तथ्यों से रूबरू कराना चाहता हूँ।

आशा करता हूँ, इन तथ्यों को देखकर आप निजीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे।

१/n
अभी तक कुल ४०.३५ करोड़ जनधन खाते खोले जा चुके हैं। जिनमे यदि निजी बैंकों का योगदान देखा जाये तो सिर्फ़ १.२६ करोड़ खाते उनके द्वारा खोला गया है, जो की कुल जन धन खाता का मात्र ३.१२% है।

निजी बैंकों में कम जनधन खाता होने का एक ही प्रमुख कारण है, वो है मुनाफ़ा। २/n
अब यदि पिछले एक साल का रेकोर्ड देखें, तो पिछले एक साल में ३,५४,५६,७४५ जनधन खाते खोले गये हैं,जिनमे से निजी बैंक के द्वारा मात्र ५६,०५२ खाते खोले गए थे,जो की कुल खोले गए खातों का मात्र ०.१५% है।

मतलब अब निजी बैंकों ने जनधन खाता खोलना लगभग बंद कर दिया है।कारण बस वही, मुनाफ़ा। ३/n
अब एक तुलना सरकारी एवम् निजी क्षेत्र के दो सबसे बड़े बैंक की करते हैं।

➡️ SBI:
Total Customer Base:- 45cr
Jandhan Account:- 12,55,99,387
Jandhan Account Percentage:- 28%

➡️ HDFC Bank:
Total Customer Base:- 4.9cr
Jandhan Account:- 24,98,677
Jandhan Account Percentage:- 5%

४/n
एक तरफ़ जहां एसबीआई के पास २८% खाते जनधन के हैं, वहीं एचडीएफ़सी के पास सिर्फ़ ५% हैं।

ऐसे में निजी बैंक ज़्यादा मुनाफ़े में है, और सरकारी बैंक कम मुनाफ़ा कमाती है, तो अचरज की क्या बात है।

२८% खाताधारक को तो बिना कोई शुल्क सेवाएँ दी जा रही है। ५/n
शायद इतना डाटा काफ़ी है ये समझने के लिए की, निजी बैंक सिर्फ़ मुनाफ़े के लिए काम करती है और सरकारी बैंक जनता के हित के लिये।

अगर प्रधानसेवक महोदय अभी भी मेरे बातों से सहमत नहीं हैं, तो मैं कुछ और आँकड़े पेश करता हूँ।

६/n
जनधन खाते के ज़्यादातर लाभार्थी ग्रामीण इलाक़े में रहते हैं, तो एक तुलना ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्र में खोले गए खाते की देखते हैं।

➡️ SBI:
Total Jandhan Account: 12,55,99,387
Account in Rural/Semi Urban: 5,20,87,733
Percentage Accounta in Rural/Semi Urban: 41.47%

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अब HDFC Bank का आँकड़ा देखते हैं।

➡️ HDFC Bank:
Total Jandhan Acc: 24,98,677
Account in Rural/Semi Urban: 4,11,415
Percentage Accounta in Rural/Semi Urban: 16.46%

HDFC ५३% शाखा के ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्र में होने का दावा करते हैं, लेकिन सारे जनधन शहर में ही खोले गये। ८/n
इससे यें तो साफ़ ज़ाहिर है कि निजी बैंक वहीं व्यवसाय करते हैं जहाँ मुनाफ़ा अधिक हो।

इसीलिए निजी बैंक ना जनधन खाते खोल रहे हैं और ना ही ग्रामीण इलाक़ों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं।

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एक रोचक तथ्य ये भी है, की एसबीआई के जनधन खाते में औसतन २६४४ रुपए हैं, जबकि HDFC में सभी जनधन खाता में औसतन ५२५७ रुपए हैं।

मतलब साफ़ है, निजी बैंक कभी मुनाफ़े के अलवा समाज के लिए काम नहीं कर सकती।

भारत जैसे देश जहां २२% से ज़्यादा लोग ग़रीबी रेखा के नीचे जीते हैं, उनके लिए १०/n
निजीकरण एक अभिशाप है।

@narendramodi जी, डाटा को अध्यन करने और उसको प्रस्तुत करने में बहुत मेहनत और समय लगता है। उम्मीद है, आप मेरा ये थ्रेड देखेंगे और अपने निजीकरण के फ़ैसले पर आम जनता के हित में पुनर्विचार करेंगे।

जय हिंद।

११/११
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