पाकिस्तान में तानाशाह जनरल ज़िया उल हक़ के वक़्त वहाँ के सुप्रीम कोर्ट का एक जज सरकार का चहेता था
सरकार के ख़िलाफ़ कोई भी PIL, कोई भी मुक़दमा होता, चीफ़ जस्टिस रोस्टर में हेराफेरी करके उस जज की बेंच को दे देता...
सरकार के ख़िलाफ़ कोई भी PIL, कोई भी मुक़दमा होता, चीफ़ जस्टिस रोस्टर में हेराफेरी करके उस जज की बेंच को दे देता...
और वह जज PIL होती तो रद्द कर देता और कोई मुक़दमा होता तो सरकार के पक्ष में फ़ैसला सुना देता
तानाशाह ज़िया उसके फ़ैसलों से बहुत ख़ुश था और निश्चिन्त था कि इस जज के रहते हुए उसे कोई समस्या नहीं आएगी
कई बार पाकिस्तान के दूसरों जजों ने इस सरकार के चहेते जज के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी...
तानाशाह ज़िया उसके फ़ैसलों से बहुत ख़ुश था और निश्चिन्त था कि इस जज के रहते हुए उसे कोई समस्या नहीं आएगी
कई बार पाकिस्तान के दूसरों जजों ने इस सरकार के चहेते जज के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी...
रोस्टर में हेराफेरी की शिकायत की लेकिन सब बेकार ही साबित हुईं
एक बार तो आवाज़ उठाने वाले जजों में से ही एक जज को सरकार ने ख़रीद लिया
और उसने भी सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक़ फ़ैसले सुनाने शुरू कर दिए
कुल मिलाकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का माहौल ज़ियामय हो गया और जनता?
एक बार तो आवाज़ उठाने वाले जजों में से ही एक जज को सरकार ने ख़रीद लिया
और उसने भी सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक़ फ़ैसले सुनाने शुरू कर दिए
कुल मिलाकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का माहौल ज़ियामय हो गया और जनता?
वह तो तानाशाही में ख़ामोश तमाशाई ही बनी रहती है
ज़िया के चहेते जज जब रिटायर होने के क़रीब पहुँचे तो उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग शुरू कर दी
इतने फ़ैसले सरकार के पक्ष में देने के बाद भी उसे यक़ीन नहीं था कि ज़िया उसे रिटायरमेंट के बाद कोई मलाईदार पद देगा...
ज़िया के चहेते जज जब रिटायर होने के क़रीब पहुँचे तो उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग शुरू कर दी
इतने फ़ैसले सरकार के पक्ष में देने के बाद भी उसे यक़ीन नहीं था कि ज़िया उसे रिटायरमेंट के बाद कोई मलाईदार पद देगा...
इसलिए उसने एक ऐसे वकील के ख़िलाफ़ ख़ुद संज्ञान लेकर मुक़दमा कर दिया जिससे ज़िया और उससे पिछली सरकारें त्रस्त थीं
वकील के ख़िलाफ़ अवमानना का मुक़दमा शुरू हुआ, पाकिस्तान में वकील के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो गया...
वकील के ख़िलाफ़ अवमानना का मुक़दमा शुरू हुआ, पाकिस्तान में वकील के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो गया...
विदेशी मीडिया भी वकील के पक्ष में लिखने लगी, सरकार ने मुक़दमे पर नज़र रखी लेकिन जज साहब के पक्ष में खड़ी नहीं हुई
अब जज साहब बोखला गए
उन्हें अपने रिटायरमेंट के बाद की सारी प्लानिंग बिखरती दिखी
जज साहब ने वकील को माफ़ी माँगने को बोलकर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश की...
अब जज साहब बोखला गए
उन्हें अपने रिटायरमेंट के बाद की सारी प्लानिंग बिखरती दिखी
जज साहब ने वकील को माफ़ी माँगने को बोलकर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश की...
लेकिन वकील माफ़ी न माँगने पर अड़ गया
वकील पाकिस्तान के राष्ट्रपिता जिन्ना का हवाला देकर कोर्ट में बहस करने लगा, जिससे मुल्क में वकील का समर्थन और बढ़ गया
जज साहब के लिए मुक़दमा साँप और छछून्दर वाली मिसाल बन गया
मुक़दमे का फ़ैसला क्या हुआ?
वकील पाकिस्तान के राष्ट्रपिता जिन्ना का हवाला देकर कोर्ट में बहस करने लगा, जिससे मुल्क में वकील का समर्थन और बढ़ गया
जज साहब के लिए मुक़दमा साँप और छछून्दर वाली मिसाल बन गया
मुक़दमे का फ़ैसला क्या हुआ?
जज ने वकील को सज़ा दी या उसे छोड़ दिया?
सरकार ने जज की बेवक़ूफ़ी के बाद भी उसे इनाम दिया या उसे गुमनामी के रास्ते पर छोड़ दिया?
यह सब में पढ़ नहीं पाया क्योंकि नींद आ रही थी
कुछ दिन बाद इंटरनेट पर सर्च करके पूरी कहानी पढ़ूँगा, तब बाक़ी कहानी आपके साथ शेयर करूँगा...
सरकार ने जज की बेवक़ूफ़ी के बाद भी उसे इनाम दिया या उसे गुमनामी के रास्ते पर छोड़ दिया?
यह सब में पढ़ नहीं पाया क्योंकि नींद आ रही थी
कुछ दिन बाद इंटरनेट पर सर्च करके पूरी कहानी पढ़ूँगा, तब बाक़ी कहानी आपके साथ शेयर करूँगा...