पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पहले दिन से कुछ बातों पर पूरी तरह क्लियर था

पहला : पाकिस्तान की आर्थिक स्तिथि के हालात को देखते हुए हम टोटल लॉक डाउन अफोर्ड नहीं कर सकते

दुसरा : कोरोना संकट के दौरान असंगंठित क्षेत्र में मुद्रा का द्रवीय प्रवाह बना रहे!
तीसरा : चीन से हर सम्भव मदद के लिए बिना शर्त तैयार रहे

क्योंकि चीन मार्च तक ही कोरोना का सबसे बुरा दौर और उससे निपटने के प्रयासों को अनुभव कर चुका था

और वो अपने राजनितिक समझौतों के तहत पकिस्तान को हर सम्भव मदद दे रहा था!
आज पांच महीने बाद पकिस्तान में कोरोना का ग्राफ नीचे जा चुका है

कोरोना के केसेस प्रतिदिन चार पांच सौ से ज्यादा नहीं आते

इकोनॉमी को कुछ ख़ास नुक्सान नहीं पहुंचा

बल्कि बहुतेरे सेक्टर्स में उछाल आया है

फ़ूड इंडस्ट्री और टेक्सटाइल में निर्यात बढ़ा है..!!!
प्रवासी मज़दूरों को पलायन नहीं करना पड़ा

कोरोना की वजह से कोई अफरा तफरी नहीं मची

रोडवेज , ट्रेन और लोकल यातायात सब खुला रहा

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि :

वो आदमी "पढ़ा लिखा है और अपने हालात समझता है!"
उसकी सरकार हमेशा विक्ट्री मोड में नहीं रहती, ऐसा नहीं की कोई भी घोषणा करी और अगले दिन ही उसकी सफलता घोषित करके उत्सव मानना शुरू

उसकी सरकार ने एक टीम के रूप में काम किया, उसने पूरे मुल्क को एक "लाला की दूकान टाइप प्रतिष्ठान" बना के फैसले नहीं लिए!
उनकी सरकारों ने अपनी असफलता छुपाने के लिए पड़ोसी देशो की बर्बादी की झूठी ख़बरें नहीं फैलाई

आज पांच महीने बाद तस्वीर आपके सामने है

कोरोना संकट वास्तविक है या नहीं ये अलग बहस हो सकती है लेकिन अपने देश में वर्तमान आंकड़े और स्तिथि सुखद नहीं है!
चीन से भागी कम्पनियाँ बाकी दक्षिण देशो में सैटल हो रही है

हम लोग उन्हें लुभाने में विएतनाम, इण्डोनेशिया, ताइवान और फिलीपींस से भी पीछे है

बस शुक्र मनाइये की पश्चिमी जगत कहीं भारत को रेड ज़ोन घोषित करके ट्रेवल और बिजनेस और वीसा देने पर प्रतिबन्ध ना लगायें!
क्योंकि अभी तक आंकड़ों के हिसाब से हम टॉप पोजीशन पर दुनिया भर की निगाह में चढ़ चुके है

और स्तिथि सुधरने की बात तो दूर स्तिथि सुधरने के लक्षण भी दिखाई नहीं दे रहें है!
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