हिन्दुओ की सबसे बड़ी कमज़ोरी है की वो ज़्यादा दूर का नहीं सोचते: वो सोचते है "मोदीको जिताएंगे, 2019 में, 2024 में,..और फिर शांति से सो जाते है!

हम मुसलमान और क्रिश्चियन्स बहोत दूरका सोचते है. तो क्या हुवा अगर 5-10 साल मोदीकी वजहसे हमारा धर्मपरिवर्तनका काम थोड़ा धीमा पड़ा?..(1/7)
मोदी सरकार कोई हमेशा थोड़ी ही रहनेवाली है? जब तक ये सरकार है हम अपनी संख्या बढ़ाने पे ध्यान देंगे ताकि जब दूसरी सरकार आये तब हम अपने Population के आधार पर उस पर दबाव बनाके हिंदुस्तान को इस्लामी/ईसाई मुल्क बनाने की अपनी ख्वाइश पूरी कर सके. पहले भी तो हम ऐसा कर चुके है ..(2/7)
अफ़ग़ानिस्तान,पाकिस्तान,इंडोनेशिया,म्यांमार,भूटान,श्रीलंका, बांग्लादेश,थाईलैंड,कम्बोडिआ,मलेशिया, चीन/जापानके कुछ भाग, ये सब पुरे हिन्दू देश ही तो थे. अब कहा है हिन्दू इन देशो में? वहा के हिन्दुओने भी सोचा था हम हज़ारो सालोसे यहाँ बस रहे है, बहुमत में है, हमें कौन मिटाएगा? ..(3/7)
वहा के हिन्दुओ ने भी तो सोचा था "सारे मज़हब एक समान, इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब है". और अब? अब उन्ही हिन्दुओ की ज़बरन कन्वर्ट की हुई मुसलमान औलादे बड़े ही फक्र से "अल्लाहो अकबर" के नारे लगाती है ना? अब वो ऐसी बेवक़ूफ़ियाना बाते नहीं करते की इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है! ..(4/7)
तो गौर फरमाने की बात ये है की सांस्कृतिक लड़ाईया दूर का सोचके लड़ी जाती है. एकाद दो बार मोदी जित जाए और हमारी मुस्लिम-तरफी सरकार हार जाए उससे कोई ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता. हमें बस उतना वक्त इंतज़ार करना है और अपनी तादात बढ़ाती रेहनी है. ..(5/7)
एक वक्त था जब हिन्दू पूरी दुनियामें हावी थे. हिन्दू धर्मका डंका बजता था क्युकी सारे हिन्दू अपने धर्मको बचानेके लिए हमेशा खड़े रहते थे इस लिए वो जीतते थे और अब तक ज़िंदा है. अब वो वक्त नहीं रहा. हिन्दुओको अपने मज़हबसे कुछ लेनादेना नहीं है. अब वो ज़्यादा दिन नहीं टिकेंगे..(6/7)
अब हिन्दू कभी अपने हक़ के लिए रास्तो पे नहीं उतरते. कभी अपने भाइओके हक़ के लिए नहीं लड़ते. कही देश के कोने में हिन्दू मरते है तो दूसरे हिन्दू देखते रहते है उन्हें अपने पैसे कमाने से फुर्सत नहीं है और ये हमारे लिए सही मौका है. (Sarcasm intended. I don't promote Radicalism) ..(7/7)
You can follow @AairahHasan.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled: