थ्रेड #आत्मकथा

#मैं_सरकारी_बैंककर्मचारी_हूँ

इसी नाम से देश के हर राज्य,जिले,मुहल्ले,क़स्बों में लोग जानते हैं।मेरी ड्यूटी सरहद पर देश की रक्षा करने वाले जवान से कम नहीं,सदैव नई-नई जगहों पर जाना।
नई-नई चुनौतियों का सामना करना,फिर खुद को अनुकूलित करना,यही मेरा आत्मशक्ति है।
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मुझे निर्देश देने वालों की कमी नहीं है,
सैद्धान्तिक रूप से एक है,लेकिन असैद्धांतिक रूप से अनन्त हैं,हर कोई अपना पॉवर दिखाने को बेताब रहता:-

✔️RBI
✔️Govt. Of India
✔️SEBI/FEMA etc.
✔️NABARD/SIDBI
✔️State Governments
✔️MPs/MLAs
✔️SLBC/DM/BDOs etc
✔️Income Tax/CBI/ED etc.

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एक समय बैंक की नौकरी,देश के सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों में थे,जो वेतन तथा भत्ते के हिसाब से भी शिखर पर था,तभी तो कितने युवा अन्य नौकरियों से त्यागपत्र देकर बैंक ज्वाइन किये थे।

वही जॉब आज धीरे धीरे युवाओं के बीच अपना क्रेज़ खोता जा रहा है,जो कि बेहद चिंताजनक है‼️

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बैंक कर्मचारियों का काम कभी खत्म नहीं होता,सुबह 9 से रात के 9 बज जाते,कभी कभी तो 11!

▶️खाता खोलना
▶️कैश जमा-निकासी
▶️लोन देना
▶️CASA mobilise करना
▶️TPP बेचना
▶️PNPA/NPA फ़ॉलो अप
▶️वसूली करना
▶️मेल से पत्राचार
▶️फ़ोन बैंकिंग करना
▶️RTGS/NEFT/DD etc.जारी करना

और भी.....

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परेशानियाँ तो समुद्र के समान,जो कभी खत्म हीं नहीं होता।

✅2500-3000किमी दूर पोस्टिंग,नये जगह,परिस्थिति,भाषा की विषमता,समाज-परिवार से कटना

✅विभागीय लक्ष्यों का बढ़ता दवाब

✅TPP बेचने का दवाब

✅स्टाफ़ की कमी,बढ़ता काम, छुट्टी न मिलना,नियमित 12घण्टे ड्यूटी,व्हाट्सअप बैंकिंग
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अधिकांश सरकारी योजनाओं के बैंकों द्वारा लागू करवाने से भी बैंककर्मियों पर अतिरिक्त दवाब बढता जा रहा,चाहे-

👉जन धन योजना
👉नोटबन्दी
👉मुद्रा योजना
👉स्टैंड अप इंडिया
👉जीवन ज्योति
👉जीवन सुरक्षा
👉अटल पेशन योजना
👉सुकन्या योजना
👉प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर
👉आत्मनिर्भर पैकेज
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▶️सलाना 80-90बैंक कर्मचारी की मौतें हो रही हैं‼️वजह❓

⏩आत्महत्या

⏯️हार्टअटैक

सर्वाधिक मौतें आत्महत्या की वज़ह से हो रही हैं,लेकिन दुखद यह है कि

आज तक @RBI
और @FinMinIndia का ध्यान इस पर नहीं गया⁉️

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बैंक कर्मचारियों को सदैव बेवज़ह निशाना बनाया जाता,क्यूँ❓

➡️बैंककर्मचारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन न करना

➡️राजनीतिक दलों का राजनीतिक लाभ

➡️जिला कलक्टर का उलजुलूल निर्देश

➡️बैंकरों का मीडिया में नकारात्मक छवि

➡️सरकारी बैंककर्मी विरोधी नीति

➡️ग्राहकों का झूठा शिकायत

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फ़िरभी जिस तरह बैंक कर्मचारीयों ने सदैव ख़ुदको समाज के लिये समर्पित किया है।वो अतुलनीय है,अविस्मरणीय है।चाहे चुनावी ड्यूटी हो या परीक्षा डयूटी हो या टिकट बेचना,हर काम मे आगे!

भले केन्द्रीय कर्मिकों के तुलना में तनख्वाह बेहद कम हैं,लेकिन सामाजिक इज्ज़त कम नहीं।

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आज भी माँगे अधूरी हैं;
✔️5डेज बैंकिंग
✔️पुराना पेंशन
✔️केन्द्रीय वेतनमान के समकक्ष वेतन
✔️NPA & डिफॉल्टर्स के विरुद्ध सख्त कानून
✔️चाइल्ड केअर लीव
✔️BPS के जगह CPC
✔️बैंकर के आत्महत्या की जाँच
✔️बैंककर्मियों के सुरक्षा हेतु सख़्त क़ानून

#StopPrivatisationofBanks
@suchetadalal
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