THIRD BATTLE OF PANIPAT ( आज के लिए सीख )
4 August 1730 : पेशवा बाजीराव बालाजी भट्ट के भाई चिमाजी अप्पा के घर पैदा हुए सदाशिवराव भाऊ, जिन्हें आगे जाकर पानीपत की तीसरी जंग का नेतृत्व करना था। पानीपत की तीसरी लड़ाई इतिहास का वो हिस्सा है जिसके कारण भारत अंग्रेजो का गुलाम बना और +
मुगलों को भारत से उखाड़ फेकने वाले हमारे वीरो के साम्राज्य के पतन का भी।
इतिहास के इस हिस्से में आज की पीढ़ी के लिए बहुत सी सीखे है, जिसपर हम आगे बात करेंगे।

1761 में लड़े इस युद्ध से पहले मुगलों को लगभग पूरे भारत से उखाड़ फैंका था मराठाओं ने,
North east India और नीचे South +
में तमिल नाडु और केरला पर कभी कब्ज़ा कर ही नहीं सके मुगल
पानीपत की इस तीसरी जंग से पहले के कुछ जरूरी बातें भी हमें जाननी होगी
1. रूहेलो और मराठाओं के बीच का विवाद ,जिसके चलते कहो या अपने धर्म का साथ देने के चलते रुहेलो ने अब्दाली का साथ दिया ( रूहेल और अब्दाली दोनों अफ़ग़ान थे )
2. आंतरिक राजनीति के चलते ज्यादा अनुभवी रघुनाथ राव ( राघोबा ) ने युद्ध में जाने से इंकार कर दिया
3. अवध की सेना जिसमें ना केवल मुस्लिम थे “ हिन्दू , नागा , यहां तक हिन्दू सन्यासी भी शामिल थे ” ने अहमद शाह दुर्रानी/अब्दाली का साथ देने के फैसला किया।
इन तीनों ने मिलकर इस्लामिक फौज खड़ी करने के मकसद से एक दूसरे से हाथ मिलाए।
4. सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि आंतरिक कलह और टैक्स के झगड़ो को लेकर जाट, राजपूत और सिख सरदारों ने मराठाओं की मदद नहीं की।
हालांकि जंग के बाद जाट राजा सूरजमल चौधरी ( जिनके वंसज @vishvendrabtp आज अशोक गहलोत के सामने खड़े है , उन्होंने मराठाओं को पनाह दी और खान पान का भी ध्यान रखा )
14 जनवरी 1961 को पानीपत की तीसरी जंग लड़ी गई, कारण बहुत से थे कि दोपहर तक अचानक हमला करके अब्दाली की सेना को धूल चटाने वाली मराठा सेना आखिर हार केसे गई, हम उन कारणों में नहीं जाएंगे
युद्ध का अंज़ाम जो हुआ वो ये कुछ इस प्रकार था
* 40000 मराठा सैनिक एक दिन में वीरगति को प्राप्त हुए
भारत के अंग्रेजो का गुलाम बनने का सिलसिला इसी जंग से शुरू हुआ। हिंदूवादी वीर मराठाओं के हार के बाद कपटी कुटिल और क्रूर मुगलों/अफगानों को अंग्रेजो ने धूल चटा दी और भारत पर कब्जा कर लिया जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहें है।
आज जब हिंदूवादी ताकते अपने चरम पर पहुंच रही है , उसमें जाती , संप्रदाय की भावना आज भी चिंता का विषय है।
हम आज भी छोटी छोटी बातों पर आपस में लड़ रहे है, ट्विटर पर भी आए दिन एक दूसरे को नीचा दिखाने में , खुदके ज्ञान को सबसे प्रबल बताने में और छोटे छोटे ग्रुप में आज भी बटे हुए है
ज़मीन पर तो ये विवाद और भी गहरे है
आज देश के गृह मंत्री और हमारे प्रिय @AmitShah ने भी 2019 चुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं को कहा था कि इस बार हमें पानीपत की तीसरी जंग नहीं हारनी है।
आज समय अलग है जंग के पैमाने अलग है, पर आज भी हम सभी के बीच अवध के राजा जैसे गद्दार बैठे है।
आज भी कुछ साधु , हिन्दू अवध की सेनाओं में शामिल है।
आज भी टैक्स/पैसों को लेकर हमारे ही बीच के लोग हमारे ही समाज को कमजोर करने में लगे हुए है,
चाहे अपनी देश की सेना का मनोबल तोड़ना हो, या भारत के धार्मिक सिद्धांतो पर झूठे इलज़ाम लगाना हो। आजी भी हमारे बीच क्षेत्रवाद और जातिवाद को
लेकर सीख, जाट , राजपूत जैसे भेदभाव सरे आम दिखते है।
एक बार यदि हम कमजोर पड़ेंगे तो सालो साल लग जाएंगे वापिस उठने में, पानीपत की लड़ाई में केवल हार मराठाओं की नहीं हुई थी बल्कि भारत की हुई थी। हम हारे क्यूंकि हम आपस में एक दूसरे से ईर्षा करते थे, एक दूसरे को बढ़ता देख
नहीं सकते थे, पर उसका हिसाब भी हमारे ही लोगो को चुकाना पड़ा, चाहे 1947 में देश के विभाजन के समय मारे गए लोग हो या पहले स्वतंत्रा संग्राम में मारे गए हमारे भाई।
अंतिम घाव हमारे ही सीने पर लगा।

अपने इतिहास से सीखते हुए हमें अभी से इन कमियों को दूर करना होगा ताकि फिर कभी
आंतरिक झगड़ो के चलते कोई हिंदूवादी ताकत ना हारे। एक दूसरे को सहना सीखे , इज्जत करना सीखे

कोई भी त्रुटि रह गई हो तो उसके लिए क्षमा 🙏🏻🙏🏻

जय हिंद 🇮🇳
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