भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रूद्र के अक्ष अर्थात् रूद्र की आंख से निकले अश्रु बिंदु को रुद्राक्ष कहा गया है। आपने साधु-संतों को रुद्राक्ष की माला पहने या रुद्राक्ष की माला से जप करते हुए देखा होगा।
ज्योतिष विज्ञान के अनेक जानकार भी समस्या के निवारण के लिए रुद्राक्ष पहनाते हैं। अनेक रोगों के लिए भी रुद्राक्ष की माला बिना जाने पहन लेते हैं या फिर इसका मजाक उड़ाते हैं। दरअसल रुद्राक्ष है क्या? क्या है इसका महत्व? यह जानना बेहद जरूरी है।
रुद्राक्ष को भारत में बेहद पवि़त्र माना जाता है। शिव पुराण में रुद्राक्ष के 38 प्रकार बताए गए हैं। इसमें कत्थई रंग के 12 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पति सूर्य के नेत्रों से, श्वेत रंग के 16 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पति चंद्र के नेत्रों से
कृष्ण वर्ण वाले 10 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से मानी जाती है, ये ही इसके 38 भेद हैं। शिव पुराण में रुद्राक्ष के महत्व पर लिखा गया है कि संसार में रुद्राक्ष की माला की तरह अन्य कोई दूसरी माला फलदायक और शुभ नहीं है।
चिकित्सा विज्ञान की बात करें तो रुद्राक्ष के उपयोग से स्नायु रोग, स्त्री रोग, गले के रोग, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), मिरगी, दमा, नेत्र रोग, सिर दर्द आदि कई बीमारियों में लाभ होता है। रुद्राक्ष के फल पेड़ पर लगते हैं
। ये पेड़ दक्षिण एशिया में मुख्यत: जावा, मलेशिया, ताइवान, भारत एवं नेपाल में पाए जाते हैं। भारत में ये असम, अरूणाचल प्रदेश और देहरादून में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष के फल से छिलका उतारकर उसके बीज को पानी में गलाकर साफ किया जाता है और रुद्राक्ष निकाला जाता है।
रुद्राक्ष को शिव से या साधना से जोडऩे में बड़ा हाथ रुद्राक्ष की उपयोगिता का भी है। रुद्राक्ष का पेड़ हिमालय की अति दुर्गम पहाडिय़ों पर मिलता है। यही वह जगह है जहां सन्यासी, योगी, शिव भक्त ध्यान साधना करते है।
शैव संप्रदाय या हठयोग साधना बेहद कठिन मानी जाती है, इसे सिद्ध होने में कई साल लग जाते हैं। पूरी साधना तक साधक को हिमालय में रहना पड़ता है, इस कठिन साधना में शरीर में शक्ति का होना अति आवश्यक है, साधना में भूख-प्यास कम से कम लगे यह भी बड़ा महत्वपूर्ण है।
यही कारण है जिसकी वजह से सन्यासी और साधना करने वाले योगियों ने रुद्राक्ष के महत्व को जाना। रुद्राक्ष एक दवाई है जिसे खाने से योगी तंदुरूस्त महसूस करता है, उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है जिसके कारण ठंडे प्रदेश में भी साधक बीमार नहीं पड़ता।
रुद्राक्ष का कच्चा फल खाने का दूसरा फायदा यह बताया जाता है कि उससे प्यास और साथ ही भूख भी कम होती जाती है। योगी को बार-बार पानी की तलाश में भटकना नहीं पड़ता जिससे वह साधना में लीन रह पाता है।
भारत में रुद्राक्ष का सिर्फ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व नहीं है बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। शिव के अंश के तौर पर ज्योतिषियों ने खगोलीय गणना के हिसाब से हर मुख वाले रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व बताया है। शिव पुराण में स्वयं शिव ने सभी रुद्राक्षों का अलग-अलग महत्व बताया है।
कुछ अनुसंधानों में तो रुद्राक्ष को उम्र का प्रभाव रोकने वाले गुणों वाला बताया गया है। एक मुखी या चार मुखी रुद्राक्ष को दूध में लेने से अद्भुत रूप से मानसिक शक्ति बढ़ती है। चार मुखी रुद्राक्ष की माला बाजू पर बांधने से भी मानसिक शक्ति बढ़ती है।
रुद्राक्ष को हदय के लिए अद्भुत औषधि माना जाता है। इसलिए डेज मेडिकल लेबोरेट्री ने इस रुद्राक्ष का रोड्रिक्स नाम से कैप्सूल बनाया है, जो रक्तचाप हृदय की समस्या, तनाव, अवसाद आदि बीमारियों की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
रुद्राक्ष को रात में जल में डाल दें, प्रात: यह जल पीने से शरीर स्वस्थ होता है और हृदय मजबूत होता है। गुरू या बुजुर्ग द्वारा दिए जाने वाला रुद्राक्ष अद्भुत रूप से रक्षा करता है। ऐसा रुद्राक्ष जिससें धागा डालने का स्थान स्वत: ही बना होता है, शरीर को बहुत मजबूत करता है।
जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त की गई है
You can follow @desidoga.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled: