गणेशजी प्रथम पूज्य देवता :
सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेशजी को केतु के रूप में जाना जाता है। गणेश पूजा से बुध और केतु ग्रह का बुरा असर नहीं होता। @sattology , @Iadvnarender @Mahender_Chem
सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेशजी को केतु के रूप में जाना जाता है। गणेश पूजा से बुध और केतु ग्रह का बुरा असर नहीं होता। @sattology , @Iadvnarender @Mahender_Chem
प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्य में लाभ और शांति हेतु सबसे पहले गणेश स्तुति और पूजा ही की जाती है। ऐसा करने से किसी भी प्रकार के विघ्न नहीं आते हैं।
शिवमहापुराण के अनुसार जब भगवान शिव त्रिपुर का नाश करने जा रहे थे, तब आकाशवाणी हुई कि जब तक आप श्री गणेश का पूजन नहीं करेंगे, तब तक तीनों पुरों का संहार नहीं कर पाएंगे। तब भगवान शिव ने भद्रकाली को बुलाकर गजानन का पूजन किया और युद्ध में विजय प्राप्त की।
गणेशजी की महिमा :
गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। गणेशजी सतयुग में सिंह, त्रेता में मयूर, द्वापर में मूषक और कलिकाल में घोड़े पर सवार बताए जाते हैं।
गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। गणेशजी सतयुग में सिंह, त्रेता में मयूर, द्वापर में मूषक और कलिकाल में घोड़े पर सवार बताए जाते हैं।
कहते हैं कि द्वापर युग में वे ऋषि पराशर के यहां गजमुख नाम से जन्मे थे। उनका वाहन मूषक था, जो कि अपने पूर्व जन्म में एक गंधर्व था। इस गंधर्व ने सौभरि ऋषि की पत्नी पर कुदृष्टि डाली थी जिसके चलते इसको मूषक योनि में रहने का श्राप मिला था। इस मूषक का नाम डिंक है।
उनके 12 प्रमुख नाम हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन। उनके प्रत्येक नाम के पीछे एक कथा है।
सभी देवताओं की शक्तियां :
गणेशजी को सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं। जिस तरह हनुमानजी को सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्तियां दी थीं उसी तरह गणेशजी को भी सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं। इसके बावजूद उन के पास अपनी खुद की शक्तियां भी हैं।
गणेशजी को सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं। जिस तरह हनुमानजी को सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्तियां दी थीं उसी तरह गणेशजी को भी सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं। इसके बावजूद उन के पास अपनी खुद की शक्तियां भी हैं।
शिव जी के श्राप के कारण कट्टा मस्तक:भगवान श्री गणेशक सिर कटने की घटना के पीछे भी एक प्रमुख किस्सा है । ब्रहा वैवर्त पुराण के अनुसार एक बार किसी कारणवश भगवान शिव ने क्रोध में आकर सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया ।इस प्रहार से सूर्य चेतनाहीन हो गए।
सूर्यदेव के पिता कश्यप ने जब यह देखा तो उन्होंने क्रोध में आकर शिवजी को श्राप दिया कि जिस प्रकार तुम्हारे त्रिशूल से मेरे पुत्र का शरीर नष्ट हुआ है, उसी प्रकार तुम्हारे पुत्र का मस्तक भी कट जाएगा। इसी श्राप के फलस्वरूप भगवान श्री गणेश के मस्तक कटने की घटना हुई।
Credit : Google or The shiva tribe