Thread (*यहां लिखे गए विचार मेरे अपने हैं, आप असहमत हो सकते हैं)

रिटायर होने के बाद आदमी ही हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो जाती है। घर वालों को सुहाता नहीं और ऑफिस जा सकता नहीं। पहले जितनी पूछ भी नहीं रहती। जो जितनी ऊंची जगह से रिटायर होता है बाद में अटेंशन का उतना ही भूखा होता है।
चाँद पे कदम रखने वाले Buzz Aldrin साहब भी रिटायर होने के बाद डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। एक ज़माने के सुपर स्टार राजेश खन्ना ने अपने जीवन के आखिरी दिनों में निहायती B ग्रेड फिल्मों में काम किया था। कुछ कुछ ऐसे ही हालत देवानंद साहब की भी हुई थी।
बड़े ओहदे के लोगों के लिए रिटायरमेंट के बाद अटेंशन पाने का सबसे सोफिस्टिकेटेड तरीका है स्व-जीवनी लिखना। वो शायद ये मानने लगते हैं की वो मानव समाज के झंडाबरदार हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी है की आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान बाँटें। रिटायर्ड नौकरशाहों में आजकल ये चलन खूब है।
नटवर सिंह, संजय बारु वगैरह वगैरह। राजनेता तो कभी रिटायर होते नहीं लेकिन वो भी अटेंशन पाने के लिए किताबें लिखते हैं। RBI गवर्नर की पोस्ट भारत में बैंकिंग की सबसे ऊंची और ताकतवर पोस्ट मानी जा सकती है। यहां से रिटायर्ड आदमी शायद बैंकिंग सेक्टर में उससे ऊपर नहीं जा सकता।
अब चूंकि रिटायरमेंट के बाद भी चर्चा में रहना है इसलिए किताब तो लिखनी ही पड़ेगी। पिछले तीन ऐसे गवर्नरों की हम बात कर सकते हैं।
1. Who moved my interest rate: By D Subbarao (2008-2013) :ये वो हैं जिनके कार्यकाल में वर्तमान परिपेक्ष्य में बैंकों का बंटाधार शुरू हुआ।
इकॉनमी को revive करने के चक्कर में भर भर के लोन बांटे गए। फ़ोन पे लोन बांटे गए। जिन लोगों ने कभी गाँव की सड़क तक नहीं बनायीं उनको बड़ी बड़े इंफ़्रा प्रोजेक्ट्स के लिए लोन दिया गया। कपडे की दुकान चलाने वाले को मोबाइल कंपनी खोलने के लिए लोन दिया गया।
देश की सबसे बड़ी ऋण माफ़ी भी इनके कार्यकाल में ही हुई। जब तक ये साहब पोस्ट पे थे तब तक कुछ नहीं कर पाए, हाँ वित्त मंत्रालय से छिट पुट तना तानी की ख़बरें आती रहीं। पांच साल पूरे हुए फिर किताब लिखी।
और जैसे की कोई भी समझदार आत्मकथा लेखक करता है, स्वयं को निर्दोष बताते हुए सारा ठीकरा फोड़ दिया राजनितिक नेतृत्व पर।

2. I Do What I Do: By Raghuram G Rajan (2013-2016) : अब आते हैं हमारे सुपरस्टार अर्थशास्त्री। IMF चीफ इकोनॉमिस्ट की पोस्ट छोड़ के भारत आये थे RBI गवर्नर बनने।
अमरीका से आये थे इसलिए एलिटिस्ट भी थे और भारत के सरकारी बैंकों से चिढ़ते भी थे। इनको NPA समस्या विरासत में मिली। इंटरनेशनल बैंकिंग प्रेक्टिसेस को भारतीय बैंकों पे लागू करने की पुरजोर कोशिश की।
इनका मानना था की सरकारी बैंकों में एंट्री लेवल पे सैलरी बहुत ज्यादा होती है और टॉप लेवल पे बहुत कम। मतलब एंट्री लेवल पे १० हजार पर मंथ मिलना चाहिए और टॉप लेवल पे 10 करोड़।
इनका ये भी मानना था की बैंक गवर्नमेंट कंट्रोल से फ्री होने चाहियें, मगर जब तक कुर्सी पर रहे privatization को ओपनली सपोर्ट नहीं किया। कुछ काम अच्छे भी किये जैसे डिफॉल्टर्स की लिस्ट बनाना, फिस्कल कंसोलिडेशन की बात करना, पर ज्यादा फरक नहीं पड़ा।
अपनी बेवाकी और स्मार्ट लुक के कारण सुपरस्टार इकोनॉमिस्ट कहे जाने लगे। कुछ लोगों ने IPL ड्रीम टीम टाइप ड्रीम कैबिनेट बनायीं जिसमें राजन जी को वित्त मंत्री बनाया गया था। शायद इस वजह से रिटायर होने के बाद से ये डेस्परेट टाइप हो गए हैं
पहले इन्होने से सरकार को गरियाया की मुझे 2nd टर्म क्यों नहीं ऑफर किया। सरकार ने भाव नहीं दिया तो किताब लिख मारी और जैसी की उम्मीद थी स्वयं को दूध का धुला बताया। अब कह रहे हैं की भारत में सर्वदलीय सरकार होनी चाहिए ताकि ये फिर से आके कोई बढ़िया पोस्ट पे बैठ सकें।
आजकल PSU बेचने की भी पैरवी करते दिखाई देते हैं। वैसे ये एक doomsayer भी हैं। इन्होने 2008 की क्राइसिस के बारे में पहले ही बता दिया था। और अभी भी कहते हैं की जल्दी ही बड़ा फाइनेंसियल डिप्रेशन आने वाला है 1929 टाइप।
३. Overdraft: Saving the Indian Saver : By Urjit Patel (2016-2018) : ये शांत स्वभाव के थे। इसके समय में NPA समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी थी। कुछ चीन की मेहरबानी और कुछ कुछ ग्रीस की, जब इन्होने ने कार्यभार संभाला विश्व अर्थव्यस्था डांवाडोल थी।
ऊपर से सरकार भी उद्दंड टाइप बिहेव कर रही थी। पहले नोटबंदी ले आयी फिर GST। ये हाथ जोड़ के निकल लिए। आज कल ये भी किताब लिख के सरकार को गरिया रहे हैं। इनका मानना है की सरकार को बैंकों से ज्यादा डिफॉल्टर्स की फिक्र है। बात तो सही ही है
आज कल सरकार के प्रिय श्री शक्तिकांता दस गवर्नर बने हुए हैं। ये मंझे हुए नौकरशाह हैं और सरकार की हर बात में हाँ में हाँ मिलते हैं। देखते हैं इनकी किताब कब पढ़ने को मिलती है। क्या पता तब तक सरकारी बैंक बचें भी या नहीं। बैंकरों को सुरक्षा चाहिए, RBI की मनमानी नीतियों से भी।
आप में से कई लोग ऊपर उल्लेखित व्यक्तियों के फैन हो सकते हैं। अगर असहमत हो तो कमेंट कर के गरिया लें पर कृपया केस ना करें .
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