महादेव अभी अभी कैलाश से देवी के पास लौटे हैं। अभी तक महायोगी किसी को भी कैलाश नहीं ले गये, माँ को भी नहीं।
साधना में छोटा का विघ्न भी ब्रह्मांड में बड़ी परेशानियाँ ला सकता है।
चिंतामणि गृह, देवी का आवास, जहाँ देवी और संसार के सबसे उत्तम जीव रहते हैं। किसी तरह का दुख, आघात आदि नहीं है!
अग्नि की उत्त्पती अभी नहीं हुई।
मणियों व रत्नों से आच्छादित चिंतामणि गृह वहाँ के सूर्य की रौशनी को रात में परावर्तित करता है।
शिव के आगमन पर हर ओर उत्सव और हर्ष का अनुभव हो रहा है। देवी के नुपुरों की झंकार सबको भाव विभोर कर रही है।

शिव की सुन्दर आँखें, मधुर मुस्कान, आकर्षक सुडौल शरीर और बाँध लेने वाली आवाज; कुछ भी ये नहीं लगने देती की वो उतने कठोर योगी हैं!
10 लाख वर्ष बीत जाते हैं!
शिव कैलाश लौटने की इच्छा जताते हैं। देवी के ना जाने के आग्रह पर शिव बताते हैं की सृष्टि में कितने ऐसे ग्रह हैं जहाँ देवी जैसी रानी नहीं है और दुख व परेशानियाँ है।
उमा शिव से प्रश्न करती हैं की शिव के जाने पे वे विक्षोभ का दुख अनुभव कर चुकी है पर पीड़ा आदि क्या होते हैं व वे कैसे उन्हें जान सकती हैं!

शिव कहते हैं, "जब अज्ञान के कारण आप दुख से नहीं निकल पाते वो पीड़ा बन जाती है।"
देवी के कोमल गुलाबी हाथों को पकड़े महादेव उन्हें असंख्य संसारों की यात्रा पर ले जाते है जहाँ माँ को दुख, पीड़ा, युद्ध, बिमारियों, कष्ट आदि का दर्शन होता है।

तब महादेव उन्हें बताते हैं की महादेवी को इस कष्ट को अनुभव करने के लिये जगत में जन्म लेना होगा।
पहली बार देवी का कैलाश पर आगमन होता है। महादेव गहन समाधी में चले जाते हैं।

"समय आ गया है, वरानने!"
महादेव समाधी से उठते हैं।
देवी को भय का एहसास होता है, सूर्य डूब जाता है ब अंधकार में चंद्र का उदय होता है।

महादेव उमा को अपनी बाहों में उठा लेते हैं और असंख्य नये ग्रहों का जन्म होता है।
"देवी, अब तुम कुछ ऐसा देखोगी जो अब तक किसी ने नहीं देखा!"
देवी को दिव्य दृष्टि दे महादेव दो पगों में देवी से कई प्रकाश वर्ष दूर चले जाते हैं।

डिमी डिमी डम डम तडीक डिमी डिमी तडीक डम डम
डमरू का नाद शुरु होता है। नाद, विस्फोट, गड़गड़ाहट से सब काँपता है।
ग्रह, चंद्र, तारे टूटने लगते हैं। आकाशगंगाएँ बिखरने लगती हैं।
प्रलय...
सब मानो बुलबुले की तरह फूट रहा हो।

शिव का विस्तार वर्णन से परे है, कितने ही ग्रह व तारे उनमें समा गये।
नटराज, महातांडव कर रहे हैं!
देवी शिव में विलीन हो जाती हैं। महातांडव कई लाख सालों तक चलता है।

"महेश्वर महाकल्प महातांडव साक्षिनी"
उमा महातांडव की एकमात्र साक्षी हैं!
नई सृष्टि का निर्माण होता है।
उमा दक्ष प्रजापति की पुत्री के रुप में जन्म लेती हैं!
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