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सामान्य कथा लेकिन गूढ़ संयोग:

श्री हनुमानजी के द्वारा माँ सीता की खोज के लिए समुद्र लांघने की कथा में तीन विपत्तियां मार्ग में मिलती है- १- सुरसा २-सिंहिका ३- लंकिनी
और तीनों को हनुमान जी अलग युक्ति से व्यवहारित करते है
प्रथम दृष्टि से सामान्य सी कहानी लेकिन रोचक संयोग
प्रथम सुरसा जिन्हें देवता हनुमानजी की परीक्षा हेतु भेजते है - उन्हें माता कहकर संबोधित करते है, नमन करते है और बुद्धि से (शरीर को बढ़ा कर युक्ति से लघु रूप धारण और मुंह मे जाकर पुनः बाहर आना) जीतते है
द्वितीय सिंहिका जो आकाश में उड़ने वाले की परछाई पकड़कर खाती है उसे तुरंत मारकर
और तीसरी लंकिनी - जो लंका की प्रहरी है उसे हल्का सा मुक्का मारकर अपराधबोध करवाते है और फिर आगे लघु रूप में लंका में प्रवेश करते है ।लेकिन ये तीनो राक्षसियाँ क्या दर्शाती है
सुरसा- सतगुण (देवो से भेजी हुई) - बुद्धि से जीती जा सकती है, ज्ञान से, बल से नहीं । विनम्रता से ।
सिंहिका - तमोगुण ( राहु की माता), बल से, बिना वार्तालाप, सीधा निर्णय
और
लंकिनी- रजोगुण (राजसी वैभव) उसको मुक्का अर्थात पांच अंगुलिया( पंचेन्द्रिय को नियंत्रित करके)
सुरसा - आकाश मार्ग से
सिंहिका- जल मार्ग से
लंकिनी- थल मार्ग से
सारांश में जब आप किसी कार्य को करने जाते हो तो निश्चय रूप से तीनों मार्गो से विलक्षण विपत्तियों का आना ही है । आपको हर एक को मेधा, बल या युक्ति से निवारण करना है।

विश्वास है आज का विवेचन भी अच्छा लगा होगा ।
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