काफी दिनों बाद आज फिर से एक थ्रेड लिख रहा हूं, उम्मीद है आपको पसंद आएगा..

विषय : D-10 पर भारत का रुख

इस पर विस्तार से जानने के पूर्व हमें ये जानना होगा कि D 10 है क्या?

ब्रिटेन ने USA को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें कहा गया है कि G 7 के सभी सदस्य (अमेरिका, कनाडा, इटली,
फ्रांस, जर्मनी,ब्रिटेन और जापान)
और इसमें भारत, ऑस्ट्रलिया और दक्षिण कोरिया को सम्मिलित करके 10 बड़े राष्ट्रों का
एक डेमोक्रेसी 10 संगठन बनाया जाय
जिसका उद्देश्य इन देशों में 5G से संबंधित होने वाले बिजनेस को आपस में करना होगा
इस संगठन की 5G club भी कहा जा सकता है।
अब ध्यान देने वाली बात ये है कि इस ग्रुप में चीन शामिल नहीं है जहां की कम्पनी Huawei 5g से संबंधित काम करने में माहिर है। वर्तमान में सिर्फ नोकिया, ERICSSON और Huawei ही वो कम्पनियां हैं जो 5g से
संबंधित इक्विपमेंट बनाती है।
हम जानते हैं कि 5g आने वाला समय के तकनीकी युग में
क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा, लेकिन इसके लिए कई बिलियन डॉलर का निवेश होगा
और यदि Huawei को काम नहीं मिलता है तो चीन को कितना नुकसान होगा इसका अंदाजा लगा सकते हैं।

अब बात करते हैं भारत के रुख की क्योंकि
इस क्लब में शामिल होना भारत के लिए दुविधा भरा कदम होगा क्योंकि
एक तरफ जहां हम Huawei को काम ना देकर नोकिया और एरिक्सन को देने की सोचेंगे वहीं ये भी सोचना होगा कि इनके इक्विपमेंट के दाम Huawei की तुलना में करीब
30-35 फीसदी महंगे होते हैं जिसके लिए टेलीकॉम कंपनियों को मनाना टेढ़ी खीर साबित होगी क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे देश में टेलीकॉम
कंपनियों की स्थिति ठीक नहीं है
कुछ महीनों पहले ही जब सरकार ने एयरटेल और वोडाफोन - आइडिया पर AGR due के रूप में रकम चुकानी थी तो आइडिया के मालिक मंगलम बिरला ने कहा था कि यदि सरकार उनकी मदद नहीं करती है तो हो सकता है कि वोडाफोन बंद करनी पड जाए उन्हें।
ऐसी स्थिति में 30-35% का
अतिरिक्त खर्च कहां से लाएगी टेलीकॉम कंपनियां।

हम जानते हैं कि दुनियां चीनी कंपनियों पर प्राइवेसी के आधार पर भरोसा नहीं करती
अमेरिका ने Huawei पर 2021तक प्रतिबंध लगा रखा है और शायद इसे बढ़ा भी दे
इसलिए भारत इसे एक मौके के रूप में भी देख सकता है।

Make in India और
#आत्मनिर्भर_भारत के जरिए भारत खुद 5g ईक्विपमेंट बनना शुरू करे।
इससे कई फायदे हो सकते हैं जैसे रोजगार के अवसर निर्मित होंगे, नोकिया और एरिक्सन के महंगे इक्विपमेंट नहीं खरीदने पड़ेंगे
और सबसे बड़ी बात यदि हम इसे एक्सपोर्ट करने में सक्षम हो जाते हैं तो दुनिया को Huawei का विकल्प
मिल जाएगा जिसपर वो भरोसा कर सकता है

अब देखने वाली बात ये होगी की ये D10 ग्रुप बनता है या नहीं।

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