Pvt Bank Vs PSB

ये कहानी नहीं, मेरे निजी अनुभव पर आधारित है।

मै उस समय दिल्ली में था और एक निजी संस्थान में कार्यरत था। मुझे किसी कार्य से कुछ लोन कि आवश्यकता थी। मै किसी और काम से कनाट प्लेस गया हुआ था, और वही घूमते हुए अचानक मेरी नजर आईसीआईसीआई बैंक पर परी

#YouFailedBankers
मैंने सोचा लोन का पता कर लेता हूं, आईसीआईसीआई में मेरा खाता तो है ही। मै शाखा के अंदर चला गया। अब निजी बैंकों के शाखा कितने शानदार होते हैं, बताने की जरूरत नहीं है।

बाहर धूप में टहलने के बाद, जब आप एसी वाले कक्ष में जाते हैं तो अलग ही आनंद आता है।

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खैर, वहां "May I Help You" था, मैंने वहां लोन के बारे में पूछा, उन्होंने बताया कि पीछे एक अलग लोन विभाग है आप वहां चले जाइए।

मै पहुंच गया, वहां एक अधिकारी बैठे थे, उनको मैंने अपना आने का उद्देश्य बताया। उन्होंने मुझसे कुछ जानकारी लेने के बाद, एक फॉर्म दे दिया

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उन्होंने कहा आप ये फॉर्म पर दस्तखत कर दीजिए, और कुछ डॉक्यूमेंट्स चाहिए वो दे दीजिए। मैंने अपना आधार और पैन कार्ड दे दिया। और बाकी के कागजात लिए उन्होंने एक मेल आईडी देते हुए कहा कि, आप इसपर मेल कर दीजियेगा।

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मैंने अगले दिन ही बाकी कागजात मेल कर दिया। उसके अगले दिन एक दूसरे अधिकारी का मेरे मोबाइल पर वेरिफिकेशन कॉल आ गया। उसी दिन किसी अन्य अधिकारी का मेरे ऑफिस के लैंडलाइन पर भी वेरिफिकेशन कॉल प्राप्त हुआ। मैंने सोचा कि अब तो वेरिफिकेशन हो गया, बस लोन पास होना रह गया

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लेकिन उसके एक दो दिन बाद, फिर मेरे फोन पर एक दूसरे अधिकारी का फोन आ गया। कहने लगे कि, साब आपके घर के बाहर खड़े हैं, लेकिन यहां तो ताला लटका हुआ है। मैंने बताया की भाई मै अकेले रहता हूं, और अभी ऑफिस में हूं। आप पड़ोसी से मेरा नाम वेरिफाई कर लो, में उसी पते पर रहता हूं।
खैर अभी तक मै चार अधिकारियों से एक लोन के लिए बात कर चुका था।

फिर कुछ दिन बाद, जिनसे मै शाखा में पहली बार मिला था, उनका कॉल आया कि आपका लोन पास ही गया, कल तक आपके खाते में पैसा आ जाएगा। फिर अगले दिन पैसे आ गए, और इस तरह मेरा लोन पास हो गया।
अब मै नियमित उसके ईएमआई की भुगतान करने लगा,हर महीने २५ तारीख के आसपास बैंक से एक रिमाइंडर कॉल आया था। और अगर एक दिन भी लेट हो गए तो तब तक फोन आता रहता था जब तक कि आप अपना ई एम आई भर ना दो

अब असली कहानी पर आते हैं

कुछ साल बाद मैंने भी एक पीएसबी ज्वाइन कर लिया

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मुझे एक ठेठ ग्रामीण इलाके में पोस्टिंग मिली और एक दिन लोन के बारे में जानकारी के लिए एक ग्राहक आ गए।

मैंने ध्यान दिया कि यहां तो कोई लोन विभाग नहीं है, फिर इन्हें कहां भेजूं? फिर मैंने उन्हें शाखा प्रबंधक के पास भेज दिया, उन्होने उन्हें एक अधिकारी के पास भेज दिया।
अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी और कुछ कागजात की लिस्ट थमा दी। कुछ दिन बाद वो भाई साब एक लोकल नेता के साथ कागजात लेकर आए। उनसे कागजात लेकर, अधिकारी ने उन्हें कागजात वेरिफिकेशन के बाद संपर्क करने का आश्वासन दिया।
मैंने उत्सुकता में उनसे पूछा, की अब इनको फोन करने की लिए कौन से अधिकारी नियुक्त हैं? उन्होने कहा, यहां ऐसा नहीं होता, सरा वेरिफिकेशन में ही करूंगा। कल चलना साथ में, एड्रेस वेरिफाई करने चलना है।

मैंने फिर पूछ लिया, और फील्ड ऑफिसर कहां हैं? उन्होने कहा, यहां ऐसा कुछ नहीं होता।
अब मैं परेशान होने लगा, क्यूंकि उनके ट्रांसफर के बाद मुझे ही ये सब करना था।

खैर हमने ग्राहक का पता वेरिफाई किया। सारे कागजात की जांच की और लोन रिकमेंड कर दिया गया। शाखा प्रबंधक ने लोन वेरिफाई कर दिया, और कुछ दिन बाद लोन डिसबर्स कर दिया गया।
अगले ही महीने ग्राहक ने emi नहीं भड़ा। मैंने फिर पूछ लिया, इनको हमारे कॉल सेंटर से emi भुगतान के लिए कॉल तो गया होगा।

अब अधिकारी मुझे घूरने लगे, बोले भाई यहां ये सारा काम हमें ही करना होता है। अपने तिलस्मी दुनिया से बाहर निकलो, यहां सब काम किसी एक बंदे को करना है।
अब मेरी आंखे खुल चुकी थीं, और में प्राइवेट और सरकारी बैंक के अंतर को समझ चुका था।

उम्मीद है, आप भी समझ गए होंगे, और प्राइवेट और सरकारी बैंक के सर्विस में फर्क का कारण भी समझ गए होंगे।धन्यवाद।

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