जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है
जिस्म मिट जाने से इंसान नहीं मर जाते
सांस थम जाने से एलान नहीं मर जाते
धड़कने रुकने से अरमान नहीं मर जाते
होंठ जम जाने से फरमान नहीं मर जाते
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

साहिर लुधयानवी ने ये नज़्म उस इंसान के लिए लिखी..

#JLN
जो हर दीन और हर मज़हब से दूर था मगर फिर भी हर दीन हर मज़हब का ग़मख्वार था। वो जिसके काँधे पर सारी क़ौमों के गुनाहों का बोझ था लेकिन फिर भी ईसा की तरह सारी उम्र सलीब पर खड़ा रहा। वो इंसान जिसने इंसानो के बंटवारे का ग़म झेला मगर फिर भी इंसानियत पर भरोसा रहा।

#JawaharNehru
वो इंसान जिसकी आज के बिलखते चीख़ते हिंदुस्तान को सबसे ज़्यादा ज़रुरत है। आप चाहें तो उससे पंडित जवाहर लाल नेहरू कह कर पुकारें या चाचा नेहरू कहें या सिर्फ गाँधी जी की तरह जवाहर कहें।

#JawaharLalNehru #DeathAnniversary
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