अभी कुछ दिनों पहले अपने गाँव गया था वहां एक ताऊ जी साथ एक #GraminBank सिर्फ पैसे निकालने गया था उनके साथ
जाकर देखा क्या एक पुराने जमाने का पंखा खड़खड़ा रहा था मैंने पानी का पूछा तो बाहर हैंडपंप की तरफ इशारा कर दिया गया उसमे एक ग्लास बंधा था मैं भी हैरान हो गया बाहर लोगो की भीड़
थी और नेटवर्क नही आ रहा था गाँव वाले भी बेचारे बाहर धूप में खड़े थे अंदर जगह नाम की चीज ही नही थी कि कमरे में ही पूरी बैंक चल रही थी
काफी देर इन्तेजार के बाद अंदर हिम्मत जुटा कर प्रबंधक साहब से बात किया तो हैरान हो गया बोले भाई क्या बताये ये कनेक्टिविटी 2 दिन से गायब है
आज तीसरा दिन है दो दिन पहले ही रिपोर्ट कर दिया था लेकिन कोई आया ही नही कनेक्टिविटी सही करने
मुझे ताज्जुब हुआ ऐसा कैसे हो सकता है खैर ये सब खड़े खड़े बात कर रहा था मैं फिर बाद में अपना परिचय दिया उनको तो वो काफी हैरान बोले बताया क्यो नही आपने
अब आप आ ही गये है तो देखिए हालात
मैंने वाशरूम का पूछा तो पता चला वो भी नही था वहां शाखा में बगल में पास में ही पंचायत का कोई कार्यालय था वहां ही जाया जा सकता था जो कि सार्वजनिक शौचालय था
मेरे मन मे उस समय स्वयं पे आने वाली परेशानिया एकदम बौनी सी नजर आने लगी सोचा अगर ये लोग पसीने में तर होकर इस दशा में कार्य कर
सकते है तो हम शहर की वातानुकूलित शाखा में इनसे लाख गुना बेहतर स्थिति में है
सोचिये क्या आप ऐसी स्थिति में काम कर सकते है?जहां मूलभूत सुविधाएं ही नही है लेकिन ये असली ग्रामीण परिवेश के आर्थिक सिपाही लगातार बिना किसी भेद भाव के सेवा देने में तत्पर है
Salute on #GraminBank 's staffs
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