मंदिरों के सोने पर नजर नई नहीं।मुगलकाल का इतिहास साक्षी है!
मद्रास हिन्दू टेम्पल एक्ट,1843,से अंग्रेज मन्दिरों का धन लन्दन भेजते थे!1857 विद्रोह से एक्ट फेल हुआ,पर नए एक्ट लाकर मन्दिर(गतिविधियाँ)नियंत्रित किये गए!1923 में Madras Hindu Temple& Religious Place Endowment Act आया!
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मद्रास हिन्दू टेम्पल एक्ट,1843,से अंग्रेज मन्दिरों का धन लन्दन भेजते थे!1857 विद्रोह से एक्ट फेल हुआ,पर नए एक्ट लाकर मन्दिर(गतिविधियाँ)नियंत्रित किये गए!1923 में Madras Hindu Temple& Religious Place Endowment Act आया!
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1920-47 तक इस एक्ट से लाखों हेक्टेयर भूमि चर्चों को लीज़ पर दी गयी!
नेहरू ने इस एक्ट का नाम The Hindu Religious & Charitable Endowment Act कर हिन्दू मठ मंदिरों की सम्पति के दुरूपयोग का नया युग चलाया!इसमें राज्यों को बिना कारण बताये कोई भी मन्दिर अपने अधीन करने का अधिकार मिला।
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नेहरू ने इस एक्ट का नाम The Hindu Religious & Charitable Endowment Act कर हिन्दू मठ मंदिरों की सम्पति के दुरूपयोग का नया युग चलाया!इसमें राज्यों को बिना कारण बताये कोई भी मन्दिर अपने अधीन करने का अधिकार मिला।
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आंध्र प्रदेश ने 34K मन्दिर अधीन किये।तिरुपति मन्दिर की 35 करोड़₹/वर्ष कमाई का मात्र 7% मन्दिर के रखरखाव को मिलता है!इसके बेशकीमती रत्न ब्रिटेन के बाजारों में बिकते मिले हैं!A.P के पूर्व CM,YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को(चर्च बनाने को!)देने को कहा था!
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सोचिये क्या सेक्युलर देश की सरकार मन्दिर,मस्जिद,चर्च आदि का संचालन कर सकती है!आज 9 लाख मन्दिरों में 4 लाख सरकार के पास हैं।मंदिरों के दान का 80% गैरहिन्दू कार्यों के लिए खर्च होता है!भ्रष्टाचार की इतनी हद कि कर्नाटक के 2 लाख मन्दिरों में से 50 K रखरखाव न होने से बन्द हो गए हैं।
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2012-13 में पद्मनाभ मन्दिर के स्वर्णाभूषणों का मूल्य 5 लाख करोड़ ₹ आँका गया।
SC द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि की देखरेख में करोड़ों का सोना चुर गया;मन्दिर निर्माता राजा रविबर्मन परिवार की हजारों वर्ष की देखरेख में तो रत्ती न चुरी थी!
धर्म समाप्त करने को उसके आश्रय स्थल समाप्त करो!
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SC द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि की देखरेख में करोड़ों का सोना चुर गया;मन्दिर निर्माता राजा रविबर्मन परिवार की हजारों वर्ष की देखरेख में तो रत्ती न चुरी थी!
धर्म समाप्त करने को उसके आश्रय स्थल समाप्त करो!
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चाणक्य की इसी नीति से जुड़ी है नेहरू/कांग्रेस की हिन्दू मन्दिरों के प्रति दुर्भावना!मन्दिरों का सोना(अनुमानित 76 लाख करोड़₹)हिन्दू समाज की सम्पत्ति है,सरकार की नहीं!वामपंथी लॉबी,कांग्रेस को मठ-मन्दिरों में पड़ा धन दिखता है,चैरिटी के नाम पर विदेशों से आता करोड़ों का चन्दा नहीं!
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और इस चंदे से धर्मान्तरण होते हैं!
सेकुलरिज्म के नाम पर मंदिरों की संपत्ति के लोभ का सिलसिला थमेगा नहीं जबतक अन्य धार्मिक समूहों के संगठनों की तरह हिन्दू मन्दिर संगठित प्रबन्ध तंत्र खड़ा कर मठ-मन्दिरों का पैसा धर्म के प्रसार के लिए करने आगे नहीं आते।
ये हिन्दू समाज का अधिकार है!
सेकुलरिज्म के नाम पर मंदिरों की संपत्ति के लोभ का सिलसिला थमेगा नहीं जबतक अन्य धार्मिक समूहों के संगठनों की तरह हिन्दू मन्दिर संगठित प्रबन्ध तंत्र खड़ा कर मठ-मन्दिरों का पैसा धर्म के प्रसार के लिए करने आगे नहीं आते।
ये हिन्दू समाज का अधिकार है!