त्रेतायुग में अयोध्‍या की पावन धरती पर भगवान राम का जन्‍म हुआ था। कलियुग में माना जाता है राजा विक्रमादित्‍य ने सैकड़ों वर्ष पहले अयोध्‍या की खोज की थी और फिर यहां भगवान राम का भव्‍य मंदिर बनवाया था।
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तीर्थराज प्रयाग ने कलियुग में राम जन्‍मभूमि को खोजने में राजा विक्रमादित्‍य की मदद की थी। उन्‍होंने राजा को एक गाय दी और बोला कि गाय के थन से जहां पहुंचकर दूध निकलने लगे, समझ लेना वही भगवान राम की पावन धरती है। विक्रमादित्‍य गाय को लेकर चल दिए।
अयोध्‍या पहुंचते ही गाय खड़ी हो गई और उसके थन से दूध बहने लगा। विक्रमादित्‍य को समझ आ गया है कि यही उनके राजा राम की धरती है।
अयोध्‍या की खोज करने के बाद राजा विक्रमादित्‍य ने यहां 84 कसौटियों के खंबे से यहां भगवान राम का भव्‍य और बहुत ऊंचा मंदिर बनवाया।
बताते हैं कि यह मंदिर इतना ऊंचा था कि मुगल शासक बाबर जब पहली बार लखनऊ आया तो उसे वहां से ही यह मंदिर नजर आ गया था।
लखनऊ आकर बाबर ने जब पूर्व दिशा की ओर देखा तो उसे 2 चंद्रमा दिखाई दिए।उसने मीरबाकी से पूछा कि दिल्ली में तो मुझे एक ही चांद दिखता है मगर यहां 2 चांद कैसे दिख रहे हैं।
तब उसे मीरबाकी ने बताया कि जिसे वह दूसरा चांद समझ रहा है कि दरअसल वह अयोध्‍या स्थित राम मंदिर के शिखर पर लगी चंद्रकांता मणि है।
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