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कहते हैं जिस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग मनुष्य करता है वास्तव में उसकी मानसिकता भी वैसे ही होती है, और वह अपने अवचेतन मन में उन्हीं कृत्यों को करना चाहता है जिनका उल्लेख वह आवेश में आकर करता है,
#अरेस्ट_पंकज_पूनिया
कहते हैं जिस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग मनुष्य करता है वास्तव में उसकी मानसिकता भी वैसे ही होती है, और वह अपने अवचेतन मन में उन्हीं कृत्यों को करना चाहता है जिनका उल्लेख वह आवेश में आकर करता है,
#अरेस्ट_पंकज_पूनिया
पंकज पूनिया द्वारा जो बातें कही गई हैं आप उनसे अनुमान लगा सकते हैं कि यह व्यक्ति किस प्रकार की नैक्रोफीलिया( लाशों संग संभोग करना) और इन्सेस्ट (अपने ही खून के रिश्तो संग यौन सम्बन्ध बनाना) जैसी गिरी हुई वह कलुषित यौन फेंटेसी और मानसिकता रखता है।
जिस देश में 90 करोड़ से अधिक की आबादी हिंदू है उस देश में उन हिंदुओं के आराध्य का नाम बार-बार इस प्रकार की कलुषित मानसिकता से उछालना और हिंदुओं के आराध्य भगवान का इस प्रकार अपमान करना ट्रेंड बन चुका है, बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जाता है।
हमारे देश धार्मिक भावनाओं की रक्षा हेतु एक "ब्लॉस्फेमी" कानून (ईशनिंदा कानून) की आवश्यकता है, जिसके इस प्रकार हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वालों और आराध्य का अपमान करने वालों को कड़ा दंड देकर ऐसी मानसिकता वाले व्यक्ति को समाज के समक्ष उदाहरण बना देने की आवश्यकता है।