कल के मेरे वक्तव्य के बाद प.बंगाल सरकार अपनी गहरी नींद से जागी है। वहां की सरकार ने अभी तक प्रवासी मजदूरों के लिये सिर्फ 7 ट्रेनों की अनुमति दी है, और क्योंकि बड़ी संख्या में प.बंगाल के कामगार अपने घरों से दूर हैं, इसलिये मैने उनसे अधिक ट्रेन चलाने की स्वीकृति देने की अपील की थी।
प.बंगाल को अभी 105 ट्रेन रोजाना चलाने की आवश्यकता है, वहीं अनकन्फर्म्ड समाचार है कि अगले 30 दिनों के लिये उन्होंने सिर्फ 105 ट्रेनों की अनुमति की लिस्ट तैयार की है।

यह प.बंगाल के कामगारों के साथ क्रूर मजाक है, कि वहां की सरकार उन्हें खुद के घर जाने के लिये सुविधा नही दे रही है।
अभी तक प.बंगाल की सरकार ने अपने पिछले हफ्ते की घोषणा के मुताबिक 8 ट्रेनों को भी चलाने नही दिया है। यह प.बंगाल के प्रवासी कामगारों के साथ छल करने का ओछा प्रयास है, और गरीब मजदूरों को घर तक पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी से वहां की सरकार भाग रही हैं।
उत्तर प्रदेश ने 15 दिन से भी कम समय में 400 ट्रेनों को मंजूरी देकर अपने प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाया। इस तरह की सक्रियता दिखाने की बजाय प.बंगाल की सरकार मजदूरों को जल्दी सहायता पहुंचाने से रोक रही है।

प.बंगाल के गरीब मजदूरों को वहां की सरकार अपने घर नही आने दे रही है।
मैं प.बंगाल सरकार से अपील करता हूं कि कोरोना महामारी के इस संकट से उबारने में हमारे मजदूर भाईयों के हितों के बारे में कुछ सोचे, और उन्हें घर पहुंचाने के लिये जल्द से जल्द श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने की अनुमति दे।
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