सुबह से माइग्रेन था तो 8:30 सबको नाश्ता चाय करवाकर बर्तन और किचन साफ किये बिना फिर से सो गई। लगभग 2 घण्टे की नींद के बाद उठी तो चिंता थी कि बहुत काम पड़ा है जल्दी से सब कर लूं। नींद में भी बच्चों ने बार बार उठाया (क्यों उठाया ये बाद में बताऊंगी)..तो सर थोड़ा सा भारी ही था
लेकिन जैसे ही रूम से बाहर आई बच्चों का रूम पूरा neat दिखा ,आंगन में हल्की नमी थी जैसा पोछा लगने के कुछ देर बाद तक होती है, किचन टॉप देख कर लग रहा था कि साफ करने की कोशिश की गई है और सिंक खाली था , बर्तन की टोकरी में धुले,बर्तन ताबड़तोड़ रखे थे।
पूरा घर केक की खुशबू से महक रहा था। तब याद आया कि नींद में बच्चे हर कुछ देर से आकर पूछ रहे थे,"मम्मा आप केक में शुगर कितनी डालते हो, कोको पाउडर कितना डालू, ...मम्मा हम केक नही बना रहे, ऐसे ही पूछ रहे थे कि अगर हमने 9 ओ क्लॉक पर केक रखा है तो बनगा कब तक"
7 साल का नन्हा एंजेल मुझे आकर पूछा,"आपका सर ठीक है अब, देखिए हमने झाड़ू पोछा बर्तन सब कर दिया,बस किचन आपको थोड़ा और अच्छे से साफ करना पड़ेगा। मम्मा हमने गैस खुद ON नहीं किया प्रॉमिस, दादीसा से ON करवाकर ओवन रखवाया था।"
मैं क्या कहती, मैने उसे गले लगाकर सर चूमा और आंख से टपकती बूंद छुपा कर उसे थैंक यू कहा। उसके नन्हे हाथों ने जो केक बनाया वैसा पकवान अपनी ज़िंदगी में मैने कभी नहीं खाया था।वो खुश था कि आज मम्मा को कुछ काम नहीं करना पड़ेगा और मैं खुश थी कि मेरे बच्चे मेरे सबसे अच्छे दोस्त बन गए आज।